पटना से दरभंगा, मोतिहारी और सीतामढ़ी की दूरी कैसे हो गई कम?
https://www.jagranimages.com/images/2025/10/12/article/image/Muzaffarpur-Hajipur-bypass-(1)-1760252834887.webpमुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास से आवागमन शुरू। मधैाल से सदातपुर तक सड़क चालू होने से शहर पर घटा दबाव। जागरण
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar News: बहुप्रतिक्षित मुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास पर शनिवार से आवागमन शुरू हो गया। एनएचएआइ ने इसे आमलोगों के आनेजाने के लिए खोल दिया।
मधौल में रखे गए बोल्डर को जेसीबी से हटाकर आवागमन शुरू कराया गया। सबसे पहले मोतिहारी जाने वाले एक ट्रक ने इसकी शुरुआत की। इसके बाद वाहनों का रेला लग गया।
इस बाइपास के जरिए पटना-हाजीपुर से आने वाले वाहनों को दरभंगा, मोतिहारी और सीतामढ़ी जाना आसान होगा। रामदयालु होकर जाने की आवश्यकता अब समाप्त हो गया।
यह बाइपास करीब 17 किलोमीटर लंबा है, जो मधौल से शुरू होकर कांटी सदातपुर में फोरलेन पर मिलती है। एनएचएआइ ने इसके निर्माण पर दो सौ करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
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जबकि करीब 199 करोड़ रुपये से भूमि अधिग्रहण का कार्य किया गया है। डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है। इससे यातायात सुगम और सुदृढ होगा।
रामदयालु से लेकर चांदनी चौक तक जाम की समस्या बहुत हद तक कम हो जाएगी। जिले में आधारभूत संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण और सर्वांगीण विकास के निरंतर प्रयासों का यह परिणाम है कि यह बाइपास जिलावासियों को समर्पित हुआ।
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जानकारी का अभाव
मधौल में किलोमीटर और गंतव्य जिलों के नाम वाला बोर्ड बाइपास के शुरू में नहीं लगकर थोड़ा आगे लगाया गया है। इस कारण हाजीपुर की ओर से आने वाले वाहन चालकों को यह बोर्ड नहीं दिखता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिन्हें इसकी जानकारी है, वे ही इस मार्ग से होकर जा रहे थे। इस क्रम में दरभंगा जाने के लिए पटना से चले कार चालक अविनाश कुमार ने बताया कि उन्हें इस नए बाइपास के बारे में जानकारी नहीं है।
बोर्ड भी कहीं पर नहीं दिखा। इसलिए रामदयालु होकर जा रहे हैं। इसी प्रकार की स्थिति अन्य वाहन चालकों के साथ भी रही।
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शुरू हुआ आवागमन
विदित हो कि इस बाइपास अंतर्गत 66 अंडरपास, चार माइनर ब्रिज और एक आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) का निर्माण किया गया है। आरओबी का निर्माण पिछले करीब एक साल से चल रहा था, इसी कारण से आवागमन शुरू होने में देरी हुई।
कपरपुरा में आरओबी का निर्माण किया गया है। इसके निर्माण से न केवल शहर में ट्रैफिक दबाव घटेगा, बल्कि दरभंगा, मोतिहारी, सीतामढ़ी, वैशाली और समस्तीपुर जैसे पड़ोसी जिलों के यात्रियों को भी इसका लाभ मिलेगा।
12 वर्ष देरी से पूरी हुई परियोजना
वर्ष 2010 में बाइपास निर्माण की स्वीकृति मिली थी और इसे 2013 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन भूमि अधिग्रहण में पेच फंसने के कारण वर्ष 2012 में काम शुरू हुआ।
फिर इसकी डेडलाइन 2015 कर दी गई थी, लेकिन इस बीच मुआवजा समेत अन्य मांगों को लेकर रैयत कोर्ट में चले गए। करीब छह वर्षों तक मामला चला।
फिर कोर्ट के आदेश में वर्ष 2021-22 में काम शुरू हुआ। रैयतों को मुआवजा भुगतान किया गया। इस बीच काम पूरा होने में करीब पांच वर्ष लग गए।
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