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छोटे बच्चों में हार्ट अटैक का खतरा! जमशेदपुर में ढाई साल के मासूम की मौत के बाद बढ़ी चिंता

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发表于 2025-10-28 08:40:33 | 显示全部楼层 |阅读模式
  ढाई साल के मासूम की दिल थमने से मौत। फाइल फोटो





जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। सिदगोड़ा 10 नंबर बस्ती पदमा रोड में एक दर्दनाक हादसे ने पूरे शहर को झकझोर दिया। ढ़ाई साल के मासूम रौनक वीर की हार्ट अटैक से मौत हो गई। जिसने भी यह खबर सुनी, विश्वास नहीं कर पाया कि इतनी कम उम्र में भी हार्ट अटैक जैसी स्थिति हो सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मां निकिता कौर बेसुध हैं, पिता परविंदर सिंह, जो एक आइटी कंपनी में मैनेजर हैं, गहरे सदमे में हैं। दादा राजेंद्र सिंह, जो बारीडीह गुरुद्वारा के पूर्व प्रधान रहे हैं। उन्होंने ने बताया कि सिर्फ पांच महीने पहले उनकी पत्नी की भी हार्ट अटैक से मौत हुई थी। अब पोते की असमय मृत्यु ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है।



घटना दोपहर करीब 12 बजे की है। मां निकिता ने बताया कि रोज की तरह बेटे को नाश्ता करवाने के बाद वह घर के काम में लग गईं। रौनक अपनी दो बहनों जसकिरत (10) और प्रभकिरत (8) के साथ खेल रहा था। खेलते-खेलते अचानक वह कमरे में आया और पलंग पर लेट गया। कुछ देर बाद जब मां उसे उठाने पहुंचीं, तो वह बिलकुल शांत पड़ा था।

पहले उन्होंने सोचा कि वह सो गया है, लेकिन जब उठाने की कोशिश की तो शरीर ठंडा था। घबराकर परिजनों ने फौरन बच्चे को मर्सी अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने बताया कि उसका हृदय रुक चुका था (कार्डियक अरेस्ट)।परिजनों को विश्वास नहीं हुआ और वे उसे टीएमएच ले गए, लेकिन वहां भी डाक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। रविवार को अंतिम संस्कार किया गया।


पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले

- 30 मई 2025 : सिदगोड़ा के ही 14 वर्षीय साईं की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।

- 15 अक्टूबर 2019: टेल्को शिक्षा निकेतन की कक्षा एक की छात्रा की स्कूल में हार्ट अटैक से मौत हुई थी।

- इन घटनाओं ने शहर के डाक्टरों और माता-पिता को गहरी चिंता में डाल दिया है।
बढ़ते आंकड़े दे रहे चेतावनी

- इंडियन हार्ट जर्नल (2024) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले 5 वर्षों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के मामले 35 प्रतिशत तक बढ़े हैं।



- एम्स दिल्ली की स्टडी बताती है कि हर एक लाख बच्चों में दो से चार बच्चे अचानक हृदय रुकने की समस्या का सामना करते हैं।

- अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल करीब 12,000 बच्चे कार्डियक अरेस्ट से दम तोड़ते हैं- डाक्टरों का कहना है कि पहले हार्ट अटैक को बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब छोटे बच्चों और किशोरों में भी यह खतरा बढ़ रहा है।
क्यों बढ़ रहा है खतरा?

डाक्टरों के मुताबिक बच्चों में हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के पीछे कई वजहें हो सकती हैं।



- जन्मजात हृदय दोष : कुछ बच्चों में जन्म से ही हृदय की संरचना में समस्या होती है।

-कावासाकी रोग : इसमें रक्त वाहिनियों में सूजन आ जाती है, जिससे हृदय की धमनियां प्रभावित होती हैं।

- कोरोनरी धमनी की असामान्यताएं : जन्मजात कोरोनरी धमनी की अनियमितताएं रक्त प्रवाह में समस्या पैदा कर सकती हैं।

- रक्त का गाढ़ा होना : जैसे कि प्रोटीन सी या एस की कमी, एंटीकाएगुलेंट सिंड्रोम आदि।



- चोट : सीने में गंभीर चोट कोरोनरी धमनियों को नुकसान पहुंचा सकती है।
लक्षण जो नजरअंदाज न करें

- सीने में दर्द या जकड़न

- सांस फूलना

- अत्यधिक पसीना या थकान

- चक्कर आना या बेहोश होना

- छोटे बच्चों में दूध पीने में परेशानी या चिड़चिड़ापन
कैसे बचाएं बच्चों का दिल

- हर साल हृदय जांच (इसीजी, इको) कराएं।



- बच्चों को ताजा घर का खाना खिलाएं, जंक फूड से दूर रखें।

- रोजाना थोड़ा फिजिकल एक्सरसाइज करवाएं।

- परिवार में अगर हृदय रोग का इतिहास है, तो लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराते रहें।


बच्चों में दिल का दौरा बहुत दुर्लभ होता है, लेकिन जब होता है तो यह गंभीर आपात स्थिति होती है। अगर किसी बच्चे को अचानक सांस फूलना, छाती में दर्द या चक्कर आने जैसी समस्या हो, तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। - डॉ. संतोष गुप्ता, हृदय रोग विशेषज्ञ
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