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यह कैसी व्यवस्था...Jharkhand शिक्षा परियोजना परिषद के बैंक खाते में मात्र 150 रुपये, प्रश्न पत्र छापने तक के पैसे नहीं

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发表于 2025-10-28 09:48:37 | 显示全部楼层 |阅读模式
  



आदिल हसन, रांची। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) के बैंक खाते (समग्र शिक्षा अभियान) में मात्र डेढ़ सौ रुपया बचा है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार से आवंटन नहीं मिलने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

दरअसल समग्र शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार से जेईपीसी को सत्र 2025-26 के लिए कुल 1100 करोड़ रुपये मिलने हैं। लेकिन अक्टूबर तक मात्र 267 करोड़ राशि का आवंटन झारखंड को मिला पाया है, जो शुरुआत में ही खर्च हो चुका है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जबकि इस वर्ष पहले छह माह के दौरान जेईपीसी को कम से कम 450 करोड़ रुपये तक का आवंटन केंद्र सरकार से मिल जाना था। अभी भी केंद्र से झारखंड को 833 करोड़ रुपये मिलना बाकी है।

समय पर आवंटन नहीं मिलने का व्यापक प्रभाव जेईपीसी के काम काज से लेकर शिक्षा से जुड़ी परियोजनाओं पर दिखने लगा है। उदाहरण के तौर पर प्री-बोर्ड परीक्षा के लिए प्रश्न पत्रों की छपाई, पुस्तकों की छपाई के लिए निविदा, स्कूल यूनिफार्म, पुस्तकालयों की स्थापना, किताबों की खरीदारी जैसी जरूरी योजनाएं पूरी तरह से ठप पड़ गई हैं।

जेईपीसी कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। एक सप्ताह से अलग-अलग योजनाओं से जुड़ी फाइलों का मूवमेंट रूक सा गया है।
सीएम स्कूल आफ एक्सीलेंस की प्री-बोर्ड परीक्षा पर संकट

केंद्र से आवंटन नहीं मिलने के कारण जेईपीसी प्रश्न पत्रों की छपाई तक नहीं करा पा रहा है। दरअसल सीएम स्कूल आफ एक्सिलेंस (एसओई) में साल में दो बार होने वाली प्री-बोर्ड परीक्षा के लिए पश्नपत्रों की छपाई होनी है।

परीक्षा में 15 हजार विद्यार्थियों को शामिल होना है। प्रश्नपत्रों की छपाई से लेकर उसे परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने में 60 से 70 लाख रुपये खर्च होंगे। प्रश्न पत्रों की छपाई नहीं होने से प्री-बोर्ड परीक्षा के आयोजन में देरी हो रही है। जबतक केंद्र से आवंटन नहीं मिलता है, तब तक न तो प्रश्न पत्रों की छपाई ही हो पाएगी और न परीक्षा।
दिवाली में वेतन मिलने पर संकट

आवंटन नहीं मिलने के कारण जेईपीसी के अधिकारी, कर्मियों से लेकर हजारों शिक्षकों को दिवाली से पहले (अक्टूबर माह) का वेतन मिलने पर संकट खड़ा हो गया है।

जेईपीसी कार्यालय में चर्चा है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी दिवाली पर वेतन का भुगतान होना मुश्किल है। राशि नहीं होने के कारण जेईपीसी सत्र 2026-27 के लिए पाठ्य पुस्तकों की छपाई की निविदा नहीं निकाल रही।  

इसके अलावा पूर्व में पाठ्य पुस्तकों की छपाई करने वाली प्रिंटिंग कंपनियों को करोड़ों रुपये का बकाया भी जेईपीसी पर हो गया है। पूर्व में जमा बिलों का भुगतान बंद है।
झारखंड के 34 लाख विद्यार्थियों को नहीं मिली नई पोशाक

झारखंड के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू हुए छह महीने होने के हैं। फंड नहीं होने के कारण 34 लाख से अधिक विद्यार्थियों को अब तक पोशाक, जूते और स्वेटर नहीं मिल पाया है।

नतीजा अधिकतर बच्चे घर के कपड़ों में बिना जूते स्कूल पढ़ने आ रहे हैं। पोशाक देने के लिए शिक्षा विभाग के पास फंड नहीं है। कक्षा एक से आठवीं में पढ़ने वाले छात्रों को दो सेट स्कूल यूनिफार्म, एक स्वेटर, एक जोड़ी जूता-मोजा के लिए केंद्र से प्रति छात्र 600 रुपये देती है।

जिसे डीबीटी के माध्यम से पोशाक की राशि सीधे बच्चों के खाते में भेज दी जाती है। वहीं कक्षा छह से आठवीं के बच्चों को अलग से जूता-मोजा के लिए राज्य सरकार प्रति छात्र 160 रुपये देती है। पोशाक के लिए केंद्र से 210 करोड़ से अधिक राशि झारखंड को मिलनी है।   



केंद्र से आवंटन नहीं मिलने के कारण देरी हो रही है। विभाग द्वारा आवंटन के लिए पत्रचार किया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही आवंटन मिल जाएगा।
शशि रंजन, राज्य परियोजना निदेशक, जेईपीसी
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