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तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राजघाट पुल पर व्यापारी को अगवा कर 90 हजार रुपये लूटने के मामले में निलंबित दारोगा शुभम श्रीवास्तव सहित पांच पुलिसकर्मियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाने के साथ ही इस मामले की विवेचना एडीजी जोन की देखरेख में कराने के निर्देश दिए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मामला 5 अगस्त का है।बेलीपार क्षेत्र के पिछौरा निवासी रविशंकर शुक्ल, जो राजस्थान में रहकर व्यापार करते हैं बाइक से साथियों संग घर जा रहे थे।राजघाट पुल के पास कार सवारों ने अगवा कर 90 हजार रुपये लूट लिए थे।जांच के सामने आया कि इस घटना में नौसढ़ के तत्कालीन चौकी प्रभारी शुभम श्रीवास्तव, महिला उपनिरीक्षक आंचल राणा और सिपाही प्रवीन यादव, सुभाष यादव व राजेश चौधरी की भूमिका संदिग्ध है।
एसएसपी ने तत्काल प्रभाव से पांचों को निलंबित करते हुए विभागीय जांच बैठा दी।कार्रवाई के बाद आरोपित पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद को निर्दोष बताया और केस समाप्त करने की मांग की थी। कोर्ट ने तब गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए आदेश दिया था कि आरोपित विवेचना में सहयोग करें।
बाद में पुलिस की ओर से कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में बताया गया कि आरोपित विवेचना में सहयोग नहीं कर रहे हैं, बल्कि उल्टा पीड़ित को केस वापस लेने के लिए धमका रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया गया कि पीड़ित रविशंकर शुक्ल ने राजघाट थाने में धमकी देने का केस दर्ज कराया है।
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पुलिस की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा ली। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकरण की जांच में अब किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
एडीजी जोन गाेरखपुर को इस मामले की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है।एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि आरोपितों की तलाश में छापेमारी चल रही है।जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। |
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