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डिजिटल ट्विन प्रणाली से बदलेगा दिल्ली का वॉटर सिस्टम, एआई रखेगा हर बूंद का हिसाब; IIT दिल्ली के साथ हुआ करार

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发表于 前天 23:19 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

दिल्ली जल बोर्ड ने किया आईआईटी कानपुर के एयरावत रिसर्च फाउंडेशन से समझौता।



राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में पानी की चोरी और बर्बादी बड़ी समस्या है। उपलब्ध पेयजल का लगभग आधा ही वैध उपभोक्ताओं तक पहुंचता है। इससे राजधानी के कई क्षेत्रों में लोगों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध नहीं हो रही है। पानी बिल में गड़बड़ी की भी शिकायत आम है। बेहतर जल प्रबंधन से इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने आईआईटी कानपुर द्वारा स्थापित एयरावत रिसर्च फाउंडेशन (एआरएफ) के साथ समझौता किया है। एआरएफ एआई के उपयोग जल प्रबंधन को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने में सहयोग देगा। इससे यमुना में गिरने वाले नालों की भी सही तरह से निगरानी हो सकेगी।

जल मंत्री प्रवेश वर्मा की उपस्थिति में डीजेबी और एआरएफ के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के विज़न से प्रेरित होकर एआइ और डिजिटल ट्विन तकनीक को अपना रहे हैं, ताकि जल प्रबंधन को और अधिक स्मार्ट, प्रभावी और नागरिक केंद्रित बनाया जा सके।

दोनों संस्थान अनुसंधान, आंकड़ा एकीकरण और एआइ तकनीकों के प्रयोग के माध्यम से दिल्ली के जल एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन करेंगे। इससे गैर-राजस्व जल (चोरी, रिसाव से बर्बादी और अन्य कारणों से जल बोर्ड को जिसका राजस्व नहीं मिलता है) की समस्या को कम करने, अवसंरचना के भविष्यवाणी आधारित रखरखाव और जल व सीवेज उपचार संयंत्रों की रियल टाइम निगरानी में मदद मिलेगी।

डिजिटल ट्विन तकनीक से जल प्रणाली का वर्चुअल माॅडल तैयार होगा। इससे रिसाव, पानी के दबाव की समस्या और अन्य तकनीकी समस्या का समय पर पता लग सकेगा। एआई-सक्षम जन शिकायत निवारण और राजस्व प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाएगी। इससे उपभोक्ताओं की शिकायतों का शीघ्र समाधान होने के साथ ही उन्हें पानी का सही बिल मिलेगा।

यह पहल ‘क्लीन यमुना मिशन’ को भी सशक्त करेगी, जिसमें एआई के माध्यम से अपशिष्ट जल और प्रदूषण स्रोतों की निगरानी की जाएगी ताकि यमुना नदी में बिना उपचार वाला सीवेज कम किया जा सके। भूजल की निगरानी और पुनर्भरण योजना में भी एआइ तकनीक का प्रयोग होगा।दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) इस परियोजना के निदेशक होंगे। एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त होगा।

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