找回密码
 立即注册
搜索
查看: 130|回复: 0

चुनावी शोर में गुम किसानों की फसल बर्बादी, मोंथा तूफान और बारिश ने छीनी सालभर की मेहनत

[复制链接]

8万

主题

-651

回帖

26万

积分

论坛元老

积分
261546
发表于 前天 23:22 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

बारिश से फसल बर्बाद



संवाद सूत्र, बाराहाट (बांका)। धान के कटोरे के नाम से प्रसिद्ध कृषि प्रधान बाराहाट प्रखंड इन दिनों विधानसभा चुनाव की हलचल में पूरी तरह रंगा हुआ है। लेकिन इसी शोरगुल के बीच किसानों की पीड़ा और उनकी टूटी उम्मीदें कहीं गुम हो गई हैं। इस वर्ष किसानों ने जी-तोड़ मेहनत कर अपने खेतों में हरियाली लहराई थी। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार भरपूर उपज होगी और मेहनत का फल मिलेगा। मगर प्रकृति की मार ने सारी खुशियां छीन लीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बंगाल से उठे मोंथा चक्रवात और चार दिनों तक हुई लगातार बारिश ने धान की फसल को बर्बाद कर दिया। खेतों में पानी भरने से पक चुकी फसल सड़ने लगी। किसान की महीनों की मेहनत मिट्टी में मिल गई। इस तबाही ने उनकी आजीविका पर गहरा असर डाला है। खेतों में धान की जगह अब केवल पानी का मंजर नजर आ रहा है।
चुनावी नारों और वादों के बीच उनकी व्यथा दब गई

किसानों की मानें तो इस कठिन समय में कोई उनका दर्द बांटने वाला नहीं है। चुनावी नारों और वादों के बीच उनकी व्यथा दब गई है। नेता वोट मांगने में मशगूल हैं, जबकि किसान खेतों में तबाही देख आंखें नम किए बैठे हैं।  

सरकार, जिला प्रशासन और कृषि विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। किसान कहते हैं कि यदि जल्द राहत नहीं मिली तो उन्हें पेट भरने के लिए बाजार से अनाज खरीदना पड़ेगा।

किसाना नंदलाल यादव ने कहा धान की फसल हमारे लिए सिर्फ अनाज नहीं, बल्कि सालभर की मेहनत और बच्चों की मुस्कान है। यह बारिश हमारी उम्मीदें छीनकर ले गई।

आशीष सिंह ने कहा जब फसल लहलहाती है तो धरती मां मुस्कुराती है, लेकिन इस बार खेत तालाब बन गए, हमारी मेहनत बह गई। प्रशासन से मुआवजा देने की मांग की है।

कैलाश प्रसाद ने कहा किसान का जीवन मौसम पर टिका होता है। इस बार की बरसात ने हमारी खेती और भविष्य दोनों को खतरे में डाल दिया है। सर्वे कराकर मुआवजा देना चाहिए।
您需要登录后才可以回帖 登录 | 立即注册

本版积分规则

Archiver|手机版|小黑屋|usdt交易

GMT+8, 2025-11-28 04:44 , Processed in 0.125105 second(s), 24 queries .

Powered by usdt cosino! X3.5

© 2001-2025 Bitcoin Casino

快速回复 返回顶部 返回列表