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रंग-बिरंगे पक्षियों का कलरव, उछल-कूद करते हिरन और पेड़-पत्तियों की दावत उड़ाता हाथियों का झुंड...यह है अमानगढ़ टाइगर रिजर्व

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अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी करते कृष्णा कालेज के विद्यार्थी। जागरण



संवाद सूत्र, जागरण, रेहड़ (बिजनौर)। दैनिक जागरण के यूथ कनेक्ट कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों को अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की दुनिया के दर्शन कराए गए। विद्यार्थी बाघ, हाथी, हिरन, बारहसिंगा और सुंदर पशु पक्षी देखकर रोमांचित हुए। अमानगढ़ में खड़ी अपार वन्य संपदा ने उन्हें प्रभावित किया। विद्यार्थियों ने जाना कि पारिस्थितिकी तंत्र में बाघ और हाथी की तरह गिलहरी तक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। हमारे जिले की शानदार हवा पेड़-पौधों के कारण हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कार्यक्रम में विद्यार्थियों को वन्यजीवों व पेड़-पौधों के संरक्षण को प्रेरित किया गया। बच्चों ने सुना पक्षियों का कलरव सुना, ऊंचे-ऊंच पेड़ और उछल-कूद करते हिरन देखे, हाथियों का झुंड तो पेड़-पत्तियों की दावत उड़ाता मिला।  

कृष्णा कालेज गेट से कालेज प्रबंध निदेशक राजीव कुमार, प्रबंधक मनोज कुमार, निदेशक पवन कुमार, प्राचार्या डा.सीमा शर्मा ने विद्यार्थियों की बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अमानगढ़ में प्रवेश से पहले क्षेत्रीय वनाधिकारी अंकिता किशोर ने केहरीपुर चौकी में विद्यार्थियों को संबोधित किया। कहा कि अमानगढ़ में बाघ, हाथी, गुलदार सहित अनेक तरह के वन्यजीव हैं। इनमें से कई दुर्लभ हैं। दो दशक से आबादी के पास से गायब हो चुके गिद्ध भी अमानगढ़ में देखे जा सकते हैं। इन्हें देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आ रहे हैं। वन्यजीव आमतौर पर शांत रहते हैं और मनुष्यों से दूर रहना पसंद करते हैं। यहां पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए दिन रात काम किया जा रहा है।

कहा कि विद्यार्थी वन्यजीवों की दुनिया में हर जीव का अलग महत्व है। हाथी पेड़ों की पत्तियों को खाने के लिए पेड़ों को गिरा देते हैं। इससे हाथी और हिरनों का पेट भरता है। साथ ही गिरे हुए पेड़ों को दीमक खाती हैं। गिरे हुए पेड़ों के स्थान पर नए पौधे उग आते हैं। जंगल में ये प्रकृति के बनाए हुए नियम हैं जिनका वन्यजीव पालन कर रहे हैं। ये हमेशा से होता रहा है और आगे भी होता रहेगा।

कहा कि वन्यजीवों की दुनिया तब तक ही सुरक्षित है, जब तक मनुष्य इनका संरक्षण कर रहा है। जरूरी नहीं कि हमें इनके संरक्षण के लिए वनों में आकर रहना हो। हम अपने घरों के पास पौधे लगाएंगे तो उन पर चिड़िया, गिलहरी और कई प्रकार के कीट-पतंगों को आसरा मिलेगा। शुद्ध हवा मिलेगी और हरियाली बढ़ेगी। घरों की छत पर पक्षियों के लिए पानी रखने और दाना डालने की आदत सभी में होनी चाहिए। घरों के पास धोखे से आ जाने वाले वन्यजीवों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। कहा कि अगर हम सतर्क होकर काम करें तो गुलदार भी खेतों में हमला नहीं कर सकता है। वन में वनकर्मी बाइक पर और पैदल घूमते हैं।

वन्यजीव जानते हैं कि उनसे उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा तो वे भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। अमानगढ़ में पर्यटन शुरू करने का उद्देश्य भी यही है कि हम जानें कि हमें प्रकृति ने कितने अनमोल उपहार दिए हैं। इसके बाद विद्यार्थी शिक्षकों के साथ वन में गए। वहां उन्हें हाथियों का झुंड पेड़ों के पत्तों की दावत उड़ाता दिखा। आदित्य, कार्तिक, हिमांशु, मयंक चौहान की जिप्सी के पास बाघ बेखौफ घूमता दिखाई दिया। वह जिप्सी को देखकर रास्ते से हटकर पेड़ों के पीछे चला गया। विद्यार्थियों के साथ डा.पूनम गुप्ता, डा.शोमा सिंह, अदीबा, संचित कुमार आदि शिक्षक उपस्थित रहे। वन विभाग की गोष्ठी में वन दारोगा रवि कुमार, वन रक्षक कुलदीप सिंह भी उपस्थित रहे।

वन गुर्जरों ने पढ़ लिया वन्य जीवों का व्यवहार
क्षेत्रीय वनाधिकारी अंकिता किशोर ने बताया कि अमानगढ़ के अंदर वन गुर्जरों की कई बस्ती हैं। उनके बच्चे भी वन में पशुओं को चराते हैं। उन पर वन्यजीवों के हमले नहीं होते क्योंकि ये लोग प्रकृति से जुड़े हुए हैं और वन्यजीवों के व्यवहार को जानते हैं। ये पेड़-पौधों की पत्तियों से अपना छोटा मोटा उपचार तक कर लेते हैं। हम आज औषधीय पौधों के गुणों को भूलते जा रहे हैं और दवाइयों के भरोसे बैठे हैं।

पता नहीं था कि प्रकृति इतनी सुंदर होती है
दैनिक जागरण के कार्यक्रम में वन्यजीवों के महत्व का पता चला। इतनी हरियाली नहीं देखी। इतने विशाल पेड़। अमानगढ़ में आकर बहुत कुछ सीखने को मिला।- सुमैया, छात्रा।
अमानगढ़ दुनिया के शोर से एकदम अलग थलग है। यहां पक्षियों का कलरव सुना। हर ओर बहुत ऊंचे पेड़ और छलांग मारते हिरन दिखे। सच में ऐसी जैव विविधता का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है।-इशिका भटनागर, छात्रा।  

अमानगढ़ में प्रकृति का शानदार उपहार है जो हमें मिला है। क्षेत्रीय वनाधिकारी से पता चला कि वन्यजीव भी मनुष्यों के अस्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है। पौधे लगाएं तो अपने घरों के आसपास भी हरियाली बढ़़ाई जा सकती है।-महक असलम, छात्रा
पता चला कि अमानगढ़ जैसी और भी वन रेंज हैं। यह बहुत शानदार है। पता नहीं था कि बिजनौर में भी इतना कुछ है। दैनिक जागरण के कार्यक्रम से बहुत कुछ सीखने को मिला है। -मयंक चौहान, छात्र।  

अमानगढ़ बहुत सुंदर है। मैं यहां आता रहूंगा। पेड़ों के बीच दौड़ते हुए हिरन देखना सच में बहुत रोमांचकारी रहा। सुंदर सुंदर पक्षी भी देखे। वन्यजीवों और पेड़-पौधों के संरक्षण की भी व्यावहारिक सीख मिली। -अश्मित कुमार, छात्र।  

हमें देखकर भी हाथियों का झुंड शांत रहा। वाकई में अगर वन्यजीवों को परेशान न किया जाए तो ये शांत ही रहते हैं। मेरे कुछ दोस्तों को बाघ भी दिखा है। बाघ को देखने के लिए मैं फिर से अमानगढ़ में आऊंगा। -ऋषभ कुमार सिंह, छात्र।
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