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दिल्ली एयरपोर्ट पर दुश्मन ड्रोन हो जाएगा निष्क्रिय, एंटी ड्रोन सिस्टम लगाने की हो रही तैयारी

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发表于 5 小时前 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

2026 तक देश के 10 सबसे बड़े एयरपोर्ट हो जाएंगे ड्रोन प्रूफ (फोटो- जागरण)



गौतम कुमार मिश्रा, नई दिल्ली। एयरपोर्ट व आसपास के क्षेत्र में ड्रोन से हमले के खतरे को देखते हुए आइजीआइ एयरपोर्ट सहित देश के महत्वपूर्ण एयरपोर्ट पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाने की तैयारी चल रही है। केंद्रीय गृह और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के निर्देश पर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) इस काम को जल्द पूरा करने की कवायद में जुट गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सूत्रों का कहना है कि दिल्ली और मुंबई जैसे एयरपोर्ट पर तो पहले से कुछ बेसिक सिस्टम हैं, लेकिन अब इसके लिए समर्पित सिस्टम लगेगा।

कोशिश है कि वर्ष 2026 के अंत तक देश के सबसे बड़े 10 एयरपोर्ट पूरी तरह ड्रोन प्रूफ हो जाएं।कहां कैसा लगेगा सिस्टम, इसका हो रहा अध्ययन एयरपोर्ट सूत्रों का कहना है कि अभी इस बात पर चर्चा हो रही है कि एयरपोर्ट की जरुरत के हिसाब से जहां जो सिस्टम लगाया जाना है, उसमें क्या-क्या खासियत होनी चाहिए।

इसके लिए विदेश के एयरपोर्ट पर लगाए गए सफल एंटी ड्रोन सिस्टम मॉडल का अध्ययन किया जा रहा है। जैसे ही यह तय हो जाएगा कि किस एयरपोर्ट पर किस तरह के सिस्टम की जरूरत है, उसके बाद सिस्टम की खरीद से जुड़ी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।  
क्या होता है एंटी ड्रोन सिस्टम

एंटी ड्रोन सिस्टम आज के समय का ड्रोन शील्ड है, जो अनधिकृत ड्रोन को आने से पहले ही रोक देता है या निष्क्रिय कर देता है। इसमें एक खास तकनीकी व्यवस्था होती है जो अनधिकृत, खतरनाक या दुश्मन ड्रोनों का पता लगाने, पहचान करने, ट्रैक करने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए बनाई जाती है।

एंटी ड्रोन सिस्टम के मुख्य हिस्से और काम करने का तरीका डिटेक्शन रडार पर आधारित होता है, जो छोटे ड्रोनों को भी दूर से पकड़ लेता है। इस सिस्टम में रडार के अलावा इन्फ्रारेड कैमरे होते हैं जो दिन-रात ड्रोन को देखकर पहचानते हैं। सिस्टम में एकास्टिक सेंसर होता है जो ड्रोन में लगे प्रोपेलर की आवाज को पहचान लेता है।
लोकेशन को लगातार ट्रैक करता रहता है

सिस्टम का साफ्टवेयर सभी सेंसर के डाटा को मिलाकर यह तय करता है कि आने वाला आब्जेक्ट ड्रोन है या पक्षी या फिर वायुयान, इसके बाद फिर उसकी दिशा, स्पीड और लोकेशन को लगातार ट्रैक करता रहता है।

दुश्मन ड्रोन को चिह्नित करने के बाद यह उसे निष्क्रिय करने के लिए जैमर का सहारा लेता है। इसमें ड्रोन का रिमोट कंट्रोल सिस्टम का जीपीएस सिग्नल ब्लाक कर दिया जाता है। जरूरत पड़ने पर ड्रोन को दिशाभ्रम का शिकार बनाकर उसे कहीं और ले जाया जाता है।
आइजीआइ एयरपोर्ट के पांच किमी के दायरे में ड्रोन उड़ाना वर्जित

आइजीआइ एयरपोर्ट के पांच किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाना पूरी तरह वर्जित है। इसमें रनवे, टर्मिनल और आसपास के इलाके शामिल हैं। इसके अलावा यदि दिल्ली में कहीं अन्य स्थान पर ड्रोन उड़ाना है तो आपको एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया में आवेदन देकर इसकी अनुमति लेनी होगी।  

  

इसके आगे यानि आइजीआइ एयरपोर्ट से पांच से सात किलोमीटर के बीच की दूरी का इलाका रेड जोन के अंतर्गत आता है। रेड जोन के अंतर्गत ड्रोन का संचालन तभी किया जा सकता है, जब सक्षम प्राधिकरण से इसकी मंजूरी ली जाए।

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