|
|
स्टाम्प शुल्क की गणना को सरल बनाने के लिए पूरे प्रदेश में भूमि और भवनों के मूल्यांकन के लिए एक समान नियम लागू करने का निर्णय लिया है। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, मेरठ। प्रदेश के प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी द्वारा संपत्तियों का सर्किल रेट निर्धारित किया जाता है। जिसके चलते प्रत्येक जिले में भूमि के डीएम सर्किल रेट अलग-अलग होते हैं। उसी प्रकार भूमि और भवनों का मूल्यांकन करने के नियम भी अलग है, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रहती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
संपत्ति का बैनामा पंजीकृत होने के बाद स्टांप शुल्क की कमी के वाद का भी सामना खरीदारों को करना पड़ जाता है। इस भ्रम से निपटने के लिए शासन ने पूरे प्रदेश के लिए मानक नियम निर्धारित करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत विशेष समिति का गठन कर मानक प्रारूप तैयार कराया गया है। इस प्रारूप पर महानिरीक्षक निबंधन ने सभी जनपदों के सहायक महानिरीक्षक निबंधन से सुझाव मांगे हैं।
प्रदेश की महानिरीक्षक निबंधन नेहा शर्मा ने इस मानक प्रारूप को सभी जनपदों के एआइजी निबंधन को भेजकर बताया है कि जनपदों में भूमि और भवनों के मूल्यांकन के लिए अलग-अलग नियम निर्धारित किए गए हैं। इनमें एकरूपता लाने तथा नियमों को सरल बनाने के लिए विशेष समिति का गठन कर उसके माध्यम से मानक प्रारूप तैयार किया है। इसमें प्रस्तावित नए नियमों पर सभी जिलों के एआइजी निबंधन को 15 दिन में सुझाव देने हैं। सहायक महानिरीक्षक निबंधन नवीन कुमार ने बताया कि मानक प्रारूप में भूमि व भवनों के मूल्यांकन की कई जटिल गणनाओं को समाप्त कर दिया है। |
|