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हिमाचल में पंचायत चुनाव के शोर में थम गए कार्य, ग्रामसभा में कोरम रह रहे अधूरे; आरक्षण रोस्टर के बिना जनसंपर्क तेज

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हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव के बीच विकास कार्य थम गए हैं। प्रतीकात्मक फोटो  



राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर चर्चा व ताजा घटनाक्रम के बीच पंचायतों में विकास कार्य लटक गए हैं। पंचायतों में विकास कार्यों के लिए लाखों रुपये उपलब्ध होने पर भी विकास कार्य नहीं हो रहे। हालांकि आरक्षण रोस्टर जारी न होने के बावजूद अधिकतर स्थानों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों ने जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है।

प्रदेश में चुनाव 3577 पंचायतों में होने हैं। बीते करीब पांच वर्षों से 3615 पंचायतों में विकास कार्य हो रहे थे। नए शहरी निकायों के बनने के बाद पंचायतों की संख्या में कमी आई है। प्रदेश में जून से सितंबर तक बरसात के दौरान आई प्राकृतिक आपदा में पंचायतों में वैसे ही विकास कार्य लटके हुए थे।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मनरेगा कार्यों में भी आई कमी

अक्टूबर व नवंबर में विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद थी लेकिन पंचायत चुनाव को लेकर चल रहे ताजा घटनाक्रम के बीच पंचायत प्रतिनिधि भी कार्यों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में भी इन दिनों कमी आई है। लोग भी कार्यों में लगने से परहेज कर रहे हैं।  
कोरम नहीं हो रहा पूरा

प्रदेश की पंचायतों में ग्रामसभाओं की बैठकों में कोरम पूरा नहीं हो रहा है। जब कोरम ही पूरा नहीं होगा तो विकास कार्यों को गति कहां से मिलेगी। इसके साथ ही नई शेल्फ को भी मंजूरी नहीं मिल पा रही है। पुराने शेल्फ के तहत छोटे-मोटे कार्य हो रहे हैं।
विकास कार्यों में रुचि नहीं दिखा रहे जनप्रतिनिधि

शिमला जिला के जुब्बल में बागी पंचायत के पूर्व प्रधान राजकुमार बिंटा ने बताया कि अब पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होने हैं। ऐसे में सबको पता है कि उनका कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है। ऐसे में अब विकास कार्यों में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अब तो नए प्रतिनिधियों के चुनकर आने पर ही पंचायतों के विकास कार्यों को गति मिलेगी। चुनाव को लेकर कौन सी सीटें आरक्षित होंगी और कौन सी अनारक्षित, इसका लोगों ने अंदाजा लगा लिया है। कई स्थानों पर जनसंपर्क अभियान भी शुरू कर दिया गया है।

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पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों की गति बिल्कुल धीमी है। लाखों का बजट होने के बाद विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधि कार्यों में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
-सी पालरासू, सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग।


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