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शहर के बीच मिनी जंगल, ग्रेटर नोएडा का सूरजपुर वेटलैंड बना बायोडायवर्सिटी का हॉटस्पॉट

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发表于 8 小时前 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

ग्रेटर नोएडा का सूरजपुर वेटलैंड वन्यजीवों के लिए सुरक्षित स्थान बन गया है। फाइल फोटो



रणजीत मिश्रा, ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा का सूरजपुर वेटलैंड दूर-दराज के इलाकों से आने वाले पक्षियों और जंगली जानवरों, दोनों के लिए एक सुरक्षित और अच्छी जगह बनकर उभरा है। पिछले कुछ सालों में यहां जंगली जानवरों की आबादी काफी बढ़ी है। नीलगाय, अजगर, हिरण और सियार जैसे जीवों की मौजूदगी ने इस वेटलैंड को बायोडायवर्सिटी का एक जीवंत केंद्र बना दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह बढ़ोतरी संरक्षण की कोशिशों और बेहतर वॉटर मैनेजमेंट उपायों की वजह से हुई है। लगभग 60 हेक्टेयर के नेचुरल झील एरिया वाला यह वेटलैंड बारिश के पानी पर निर्भर है और मानसून के दौरान अपने वॉटर लेवल को रिचार्ज करता है।

2010 से, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड इंडिया और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की मिली-जुली कोशिशों से यहां संरक्षण का काम चल रहा है। इन कोशिशों में बांध बनाना, पानी बचाना और प्रदूषण कंट्रोल शामिल हैं। यह वेटलैंड नीलगाय, सांप, तितलियां, जंगली सूअर और चंचल गिलहरियों का घर बन गया है।

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि यहां कई तरह के मैमल्स की मौजूदगी दर्ज की गई है। यहां नीलगाय की आबादी, जो 2019 में करीब 50 थी, अब करीब 400 हो गई है। इसी तरह, सियार, पांच-धारी वाली गिलहरी और जंगली सूअर जैसे मैमल्स भी बढ़े हैं। रेप्टाइल्स में, यहां अजगर भी हैं।

तितलियों की 52 प्रजातियां और 200 से ज़्यादा पौधों की प्रजातियां भी हैं। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि एशियन वॉटरबर्ड सेंसस 2023 में यहां 3,000 से ज़्यादा वॉटरबर्ड्स रिकॉर्ड किए गए थे।
वाइल्डलाइफ और उनकी संख्या

    वन्यजीव अनुमानित संख्या
   
   
   नीलगाय
   400
   
   
   सियार
   250
   
   
   जंगली सूअर
   50
   
   
   मोर (राष्ट्रीय पक्षी)
   500
   
   
   गिलहरी
   200
   
   
   अजगर
   100 से अधिक
   
वेटलैंड को इको-टूरिज्म मॉडल के तौर पर किया जाएगा डेवलप


कुछ दिन पहले ही, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मेधा रूपम ने सूरजपुर वेटलैंड का इंस्पेक्शन किया और इसे इको-टूरिज्म मॉडल के तौर पर डेवलप करने का निर्देश दिया। यहां अब नेचर ट्रेल्स, वॉचटावर और इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाए जा रहे हैं। इससे टूरिस्ट को वाइल्डलाइफ की दुर्लभ झलक मिलेगी और लोकल रोज़गार के मौके बढ़ेंगे।

- रजनीकांत मित्तल, फॉरेस्ट ऑफिसर, गौतम बुद्ध नगर।

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