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शादी का सीजन और AI बने साइबर अपराधियों का नया हथियार, मैरिज कार्ड से भी हो रही ठगी; 6 सावधानियां बरत रहें सुरक्षित

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发表于 5 小时前 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

एआई और शादी के मैरिज कार्ड से भी ठगी हो रही है। प्रतीकात्मक फोटो  



जागरण संवाददाता, मंडी। हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराधों का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। शादी के सीजन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग ने ठगों को नए हथियार उपलब्ध करवाए हैं। इसी को देखते हुए प्रदेश पुलिस की स्टेट सीआइडी साइबर क्राइम यूनिट ने नागरिकों को शादी के निमंत्रण और एआइ डीपफेक धोखाधड़ी के प्रति सतर्क रहने की कड़ी चेतावनी जारी की है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पुलिस ने बताया कि यह दोनों ठगी के तरीके तेजी से फैल रहे हैं। इनसे आम लोगों को भारी आर्थिक नुकसान का खतरा है।

इन दिनों बड़ी संख्या में लोगों को वाटसएप पर अनजान नंबरों से शादी का डिजिटल निमंत्रण प्राप्त हो रहा है। यह संदेश देखने में बिल्कुल वास्तविक लगते हैं, लेकिन इनमें ऐसे लिंक या फाइलें होती हैं जो असल में मेलिशियस एपीके फाइल या फिशिंग लिंक होती हैं।

जैसे ही कोई व्यक्ति इन लिंक पर क्लिक करता है या फाइल इंस्टाल करता है। उसके फोन में खतरनाक मैलवेयर सक्रिय हो जाता है। यह मैलवेयर चुपचाप फोन से बैंक अकाउंट डिटेल्स,ओटीपी, पासवर्ड, मैसेज और संपर्क सूची जैसी संवेदनशील जानकारियां चोरी कर लेता है।

कई मामलों में यह मैलवेयर पीड़ित के ही मोबाइल से आगे दूसरे लोगों को भी ऐसे ही नकली शादी के निमंत्रण भेज देता है, जिससे स्कैम तेजी से फैलता है।  
एपीके फाइल को न करें ओपन

पुलिस ने स्पष्ट किया है कि असली शादी के कार्ड कभी भी एपीके फाइल में नहीं आते, बल्कि केवल इमेज या पीडीएफ फार्मेट में ही दिए जाते हैं।  
नकली आवाज व वीडियो से ठगी

साइबर क्राइम पुलिस का कहना है कि एआइ तकनीक की मदद से बनाए गए डीपफेक वीडियो और आडियो के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अपराधी किसी व्यक्ति की आवाज या वीडियो के कुछ सेकंड इकट्ठा करके एआई की सहायता से बिल्कुल असली जैसी नकली आवाज़ या वीडियो तैयार कर लेते हैं। इसके बाद वे पीड़ित के किसी दोस्त, रिश्तेदार या अधिकारी का रूप धारण कर पैसे भेजने, ओटीपी बताने या लिंक खोलने का दबाव डालते हैं।  
भावनाओं का इस्तेमाल कर रहे ठग

अधिकांश मामलों में ठग भावनाओं का इस्तेमाल करते हैं। जैसे अचानक कोई आपात स्थिति बताना, किसी दुर्घटना का हवाला देना, या प्रेम/डर के नाम पर तुरंत निर्णय लेने के लिए मजबूर करना। पुलिस ने कहा है कि लोगों को वाइस या वीडियो काल को ही प्रमाण मानने की गलती नहीं करनी चाहिए, बल्कि अलग स्रोत से सत्यापन अनिवार्य तौर पर करना चाहिए।
पुलिस की चेतावनी, सतर्कता ही बचाव

हिमाचल पुलिस ने लोगों को इन दोनों धोखाधड़ी से बचने के लिए कुछ प्रमुख सुझाव दिए हैं। इसमें अनजान नंबरों से आए निमंत्रण या लिंक को न खोलें। किसी भी वॉयस या वीडियो संदेश पर तुरंत भरोसा न करें। ओेटीपी, पिन या पासवर्ड किसी व्यक्ति या कॉलर के साथ साझा न करें। मोबाइल में अनजान एप या एपीके फाइल इंस्टाल न करें। भावनात्मक दबाव में कोई वित्तीय निर्णय न लें। संदिग्ध संदेशों की तुरंत रिपोर्ट करें। किसी भी साइबर ठगी की स्थिति में तुरंत 1930 नंबर पर काल कर शिकायत दर्ज करवाएं।

यह भी पढ़ें: HPU को जारी हुए एक करोड़ रुपये का नहीं अता पता, 11 साल बाद राजभवन सचिवालय ने मांगी रिपोर्ट; पूछे 4 सवाल

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