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विकसित भारत 2047 की दिशा में बड़ा कदम: NML में शुरू होगी देश की पहली Hydrogen परीक्षण सुविधा

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发表于 5 小时前 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

बर्मामाइंस स्थित सीएसआईआर एनएमएल में दीप जलाकर कार्यक्रम का शुुभारंभ करतीं सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ कलैसेल्‍वी।


जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला ने शनिवार को प्लेटिनम जुबिली स्थापना दिवस का आयोजन किया। वर्ष 1950 में राष्ट्र को समर्पित यह प्रयोगशाला सीएसआईआर के प्रथम महानिदेशक और प्रख्यात वैज्ञानिक सर शांति स्वरूप भटनागर द्वारा स्थापित देश के शुरुआती संस्थानों में शामिल है।    बतौर मुख्य अतिथि सीएसआईआर की महानिदेशक और इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला वैज्ञानिक डॉ. एन. कलैसेल्वी ने दीप जलाकर समारोह का शुभारंभ किया।

हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए परीक्षण सुविधा का शिलान्यास


डॉ. एन. कलैसेल्वी ने भारत सरकार के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाओं की आधारशिला रखी। ये देश की पहली परीक्षण सुविधाएं होंगी, जो स्वदेशी हाइड्रोजन उत्पादन तकनीकों के विकास को नई गति देंगी।

स्थापना दिवस के साथ ही 26 नवंबर को देश भर में मनाए जाने वाले संविधान दिवस के अवसर पर डॉ. कलैसेल्वी ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन भी किया।

स्वागत भाषण में एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने कहा कि भारत की धातुकर्म अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करने और वैज्ञानिक चुनौतियों का समाधान खोजने के उद्देश्य से सीएसआईआर-एनएमएल की स्थापना की गई थी।

उन्होंने बताया कि पिछले सात दशकों में प्रयोगशाला ने खनन, इस्पात, एल्यूमिनियम, एयरोस्पेस, सामरिक धातुओं और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है। उन्होंने प्रयोगशाला की प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियों का उल्लेख किया।

उन्‍होंने बताया क‍ि प्रयोगशाला में एडवांस्ड अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल (AUSC) पावर प्लांट सामग्री, बैटरी-से-बैटरी रीसाइक्लिंग तकनीक, मैग्नीशियम उत्पादन तकनीक, नए स्टील ग्रेड का विकास, नई एल्यूमिनियम मिश्रधातुएं, रेड मड तकनीक, जिंक ड्रॉस से सिल्वर निष्कर्षण तकनीक, रेयर अर्थ मेटल का निष्कर्षण को बढावा मिल रहा है।

संसाधन निष्कर्षण से लेकर उन्नत सामग्री तक तथा रीसाइक्लिंग तकनीक से सामरिक धातुकर्म तक बनाए जा रहे हैं। ये उपलब्धियां एनएमएल के अनुसंधान की व्यापकता को दर्शाती हैं।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सीएसआईआर के लिए वैश्विक मंच पर मजबूत उपस्थिति आवश्यक: महानिदेशक


डॉ. कलैसेल्वी ने कहा कि हर चुनौती अपने साथ एक अवसर लेकर आती है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी तकनीक विकसित करना और स्टार्टअप्स के साथ सहयोग बढ़ाना आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

उन्होंने कहा कि सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं ने हमेशा वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत किया है। भविष्य में तकनीकी नवाचार राष्ट्र की विकास गति को और बढ़ाएंगे।

उद्योगों का बढ़ता विश्वास


कार्यक्रम में पूर्व सीएमडी मिधानी, एसके. झा ने कहा कि सीएसआईआर-एनएमएल उन चुनिंदा प्रयोगशालाओं में से है, जो प्रयोगशाला स्तर पर तकनीक विकसित करने के साथ-साथ पायलट स्तर पर उसका प्रदर्शन भी करती है। वहीं, डॉ. एन मुर्मू ने सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं के बीच सहयोग को देश के विकास के लिए आवश्यक बताया।


स्थापना दिवस पर सीएसआईआर-एनएमएल ने कई उद्योगों के साथ समझौता (MoUs) का आदान-प्रदान किया। इसके अलावा AcSIR के पूर्व छात्रों को सम्मानित भी किया गया।

कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र, सर्वश्रेष्ठ तकनीक और सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी के लिए इन-हाउस पुरस्कार प्रदान किए गए। कर्मचारियों के प्रतिभाशाली बच्चों को उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए महानिदेशक छात्रवृत्ति पुरस्कार भी दिए गए।

अंत में श्री जयशंकर शरण, प्रशासन नियंत्रक, ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस दौरान सभी विशिष्ट अतिथियों, प्रतिभागियों और कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।    कार्यक्रम में सीएसआईआर–एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी, डॉ. एन मुर्मू, निदेशक, सीएमईआरआई, दुर्गापुर तथा एसके. झा, पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, मिधानी भी उपस्थित थे।

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