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Jamshedpur News: 2010 में खरीदी गई 50 बसें हुईं कंडम, अब कबाड़ में होंगी नीलाम

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发表于 2025-10-28 08:38:50 | 显示全部楼层 |阅读模式
  प्रशासनिक विफलता के कारण सड़ गईं 5.5 करोड़ की 50 बसें। फोटो जागरण





मनोज सिंह, जमशेदपुर। लौहनगरी में एक समय ऐसा था जब शहरवासी आने-जाने के लिए सबसे अधिक बसों का ही प्रयोग करते थे। सस्ता और सुरक्षित सेवा रहने के कारण स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्रा हो या बाजार आने-जाने वाले यात्री सर्वाधिक बसों का ही उपयोग करते थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यही कारण है कि नगर विकास विभाग ने 2009 में जमशेदपुर के लिए 5 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से 50 बसें खरीदने का निर्णय लिया। इसके बाद शहर के लिए 2010 में स्वराज माजदा की 50 बसें शहर में पहुंच गई।



इन बसों को जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत जमशेदपुर में सिटी बस सेवा की शुरुआत 2010 में कर दी गई।

किसी तरह यह बसें 2017 तक खींच-तान कर चलाई गई। इसके बाद दो-तीन बसों को छोड़कर बाकी बसों को सिदगोड़ा यार्ड में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया।
बसों का परिचालन से लेकर कंडम तक

50 सिटी बस की खरीदारी नगर विकास विभाग ने 2010 में किया। इसे चलाने के लिए झारखंड पर्यटन विकास निगम को सौंप दिया गया। चार साल तक बस को चलाने के बाद नुकसान होने की बात कहकर झारखंड पर्यटन विकास निगम 28 अगस्त 2014 को नगर बस सेवा नगर विकास विभाग को सौंप दिया।



नगर विकास विभाग ने सभी जर्जर बसों को 2014 में जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति को वापस कर दी।जमशेदपुर अक्षेस ने 2015 को सिटी बसें को चलाने के लिए टेंडर निकाला, जिसमें दो संवेदक का चयन किया गया।  

एक संवेदक को 12 बसें व दूसरे को 38 बसें चलाने के लिए आवंटित की गयी। बसों की जर्जर स्थिति को देखते ही दोनों संवेदक ने बस चलाने से मना कर दिया और सभी बसों को जेएनएसी को वापस कर दिया।


2022 को एमवीआइ ने बसों को कंडम घोषित किया

जमशेदपुर अक्षेस के तत्कालीन विशेष पदाधिकारी संजय कुमार ने एक बार सिदगोड़ा बस डिपो का जांच कर बसों को चलाने की कोशिश की। लेकिन बसों की जर्जर स्थिति को देखते हुए उन्होंने जमशेदपुर के एमवीआई को पत्र लिखकर जांच करने को कहा।

पत्र मिलते ही तत्कालीन मोटर यान निरीक्षक विमल कुमार सिंह ने सिदगोड़ा डिपो में खड़ी बसों की जांच किया। जांच करने के बाद रिपोर्ट जमशेदपुर अक्षेस के तत्कालीन विशेष पदाधिकारी संजय कुमार को सौंप दिया।रिपोर्ट में बताया कि सभी बसें कंडम हो गई है।


बसों का फिटनेस व इंश्योरेंस भी नहीं

मिनी बसों को भले ही जांच करने के बाद एमवीआई ने 2022 में कंडम घोषित कर दिया। लेकिन जांच में यह पता चला कि 2017 से ही बसों का फिटनेस व इंश्योरेंस फेल था। जबकि इस बीच कुछ बसें शहर की सड़कों पर दौड़ रही थी।

हालांकि, एमवीआई ने कंडम घोषित बसों को नीलाम करने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं बताई थी। आज यह बसें पूरी तरह कबाड़ बन गई है और टीना लोहा के दाम में बाजार में बिकेगी।
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