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Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर? यहां पढ़ें धार्मिक महत्व

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发表于 2025-10-28 08:42:46 | 显示全部楼层 |阅读模式
  Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व





धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में शरद पूर्णिमा का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जा रही है। साथ ही संध्याकाल में चंद्र देव की उपासना की जाएगी। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  



धार्मिक मत है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। साधक श्रद्धा भाव से शरद पूर्णिमा के दिन स्नान-ध्यान कर देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इसके बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार अन्न और धन का दान करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि क्यों शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-


शरद पूर्णिमा का महत्व

सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि शरद पूर्णिमा के दिन देवी मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में रासलीला की थी। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि देवी मां लक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात पृथ्वी लोक पर भ्रमण के लिए आती हैं। अतः शरद पूर्णिमा पर भक्ति भाव से मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।


क्यों रखी जाती है खीर?

धन की देवी मां लक्ष्मी को चावल की खीर बेहद प्रिय है। इसके लिए पूजा के समय देवी मां लक्ष्मी को भोग में खीर चढ़ाया जाता है। वहीं, चंद्रमा का सफेद रंग से गहरा संबंध है। देवी मां लक्ष्मी को भी सफेद रंग प्रिय है। इसके लिए ज्योतिष सफेद रंग की चीजों का दान करने की सलाह देते हैं।

शरद पूर्णिमा की रात देवी मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं। इस दौरान मां व्यक्ति विशेष के कर्मों का अवलोकन करती हैं। कहते हैं कि सतकर्मों में लीन व्यक्ति पर देवी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती हैं। वहीं, चांद की रोशनी में खीर रखने से खीर अमृत तुल्य हो जाता है। इसे अगले दिन पूजा के समय भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। इसके बाद सपरिवार खीर को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।



कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखने और अगले दिन पूजा के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति पर देवी मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। वहीं, मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
चांद की रोशनी में खीर रखने का शुभ समय

ज्योतिषियों की मानें तो शरद पूर्णिमा को चंद्रोदय का समय संध्याकाल 05 बजकर 27 मिनट है। आसान शब्दों में कहें तो संध्याकाल 06 बजकर 17 मिनट चंद्र दर्शन कर सकते हैं। हालांकि, क्षेत्र विशेष के अनुसार चंद्र दर्शन के लिए समय भिन्न हो सकता है। चंद्रमा रात्रि में एक प्रहर के बाद सोलह कलाओं से परिपूर्ण होगा। इसके लिए साधक रात 09 बजे के बाद खीर चांद की रोशनी में रख सकते हैं।



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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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