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फर्जी कंपनियां, नकली आईडी और डिजिटल गिरफ्तारी, साइबर ठगी के 473 शिकायतों से जुड़े गिरोह का भंडाफोड़

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发表于 2025-10-28 08:44:12 | 显示全部楼层 |阅读模式
  एनसीबी का अधिकारी बन डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों की ठगी करने वाले जांच जालसाज धरे





जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का अधिकारी बनकर लोगों को डराकर डिजीटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए मध्य जिले की साइबर थाना पुलिस की टीम ने पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान लोकेश गुप्ता, मनोज कुमार चौधरी, मोहित जैन उर्फ रिंकू, केशव कुमार और सैफ अली के रूप में हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हजारों लोगों से कर चुके हैं ठगी

जांच में पता चला है कि आरोपित देशभर में हजारों लोगों के साथ ठगी कर चुके हैं। जालसाज फर्जी कंपनियां बनाकर उनके नाम से करंट बैंक अकाउंट खोलते थे। इन बैंक खातों में ठगी की रकम को ठिकाने लगाया जाता था। बदले में इनको मोटा कमिशन मिलता था। शुरुआती जांच के बाद पता चला है कि एनसीआरपी पोर्टल पर दर्ज शिकायतों में 473 इनके गिरोह से लिंक हुई है। इनमें इस वर्ष 24 शिकायतें दिल्ली की शामिल हैं।


20 लाख से अधिक की ठगी कर ली

पुलिस ने आरोपितों के पास से 14 मोबाइल फोन, 40 चेकबुक, 33 सिमकार्ड, 15 कंपनी की स्टैंप, 19 डेबिट कार्ड, 14 पैन कार्ड, एक एमजी हैक्टर कार व अन्य सामान बरामद किया है। मध्य जिला पुलिस उपायुक्त निधिन वल्सन के मुताबिक, एक महिला ने ठगी की शिकायत साइबर थाना पुलिस थाने में दर्ज कराते हुए बताया था कि कुछ लोगों ने उसे डिजिटल अरेस्ट कर 20 लाख से अधिक की ठगी कर ली है।


स्काइप-आईडी से की वीडियो काॅल

पीड़िता ने बताया कि उसके पास एक अज्ञात नंबर से काॅल आई। काॅलर ने खुद को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का पुलिस उपायुक्त के रूप में पेश किया और बताया कि उनके आधार कार्ड को नशे का धंधा करने वालों ने इस्तेमाल किया है। इस वजह से उनको कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसके बाद आरोपितों ने पीड़िता को स्काइप-आईडी के जरिए एक वीडियो काॅल करवाई। उसमें आरोपितों ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की फर्जी आईडी भी दिखाई।


ग्रेटर नोएडा में छापेमारी की

बाद में जांच के नाम पर पीड़ित के बैंक खाते की पूरी डिटेल, ओटीपी तक ले लिया गया। महिला के खाते में करीब 89 हजार रुपये मौजूद थे। उसको भी ट्रांसफर कर लिया गया। पीड़िता के पास जब देने के लिए पैसे नहीं थे तो आरोपितों ने मोबाइल हैक कर उसके बैंक खाते से ऑनलाइन 20 लाख रुपये का पर्सनल लोन लेकर अपने खातों में ट्रांसफर कर दिया।

साइबर थाने में मामला दर्ज करने के बाद इंस्पेक्टर संदीप पंवार व अन्यों की टीम ने पड़ताल शुरू की। टेक्निकल सर्विलांस की मदद से पुलिस ने दिल्ली, हापुड़ और ग्रेटर नोएडा में छापेमारी की। सबसे पहले टीम ने 23 सितंबर को मुकुंदपुर दिल्ली से लोकेश गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। इसने अजय कुमार के साथ मिलकर मंगल पांडेय नगर, मेरठ में दो फर्जी कंपनी बनाई हुई थीं।



  
ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया

दोनों खुद को कंपनी का निदेशक बताते थे। पूछताछ के दौरान लोकेश ने बताया कि उसने कंपनी के बैंक खातों का नियंत्रण दीपक गोयल व मनोज चौधरी को दे दिया था। पुलिस ने लोकेश की निशानदेही पर मनोज चौधरी को 25 सितंबर को हापुड़ से गिरफ्तार कर लिया। बाद में पुलिस ने मनोज से पूछताछ के बाद मोहित जैन व केशव कुमार को गौर सिटी माल, ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया।


छानबीन में खुली कलई

इसके बाद पांचवें आरोपी सैफ अली को मोहित की निशानदेही पर शाहदरा से गिरफ्तार किया गया। छानबीन के दौरान गिरोह के सरगना मोहित जैन ने बताया कि वह पूरे भारत में चल रही डिजीटल अरेस्ट धोखाधड़ी के गिरोह से जुड़ा है। इनका काम अपने गिरोह के लोगों को फर्जी कंपनी व बैंक खाते उपलब्ध करवाना है।
ठगी की रकम देते हैं विदेश में बैठे लोगों को

बदले में इनको दो से तीन फीसदी कमिशन मिलता है। ठगी की रकम चूंकि कई-कई करोड़ होती है, इसलिए इनका कमिशन कई बार करोड़ों में चला जाता है। मोहित बाकी खाता धारकों व गिरोह के लोगों को इस दो से तीन फीसदी कमिशन में से रकम देता है। ठगी की बाकी रकम विदेश में बैठे गिरोह के लोग ले जाते हैं।


ठगी के मामले में भगोड़ा घोषित है माेहित

छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला है कि इन लोगों ने हजारों लोगों के साथ ठगी की है। छानबीन के दौरान 473 शिकायतें इस गिरोह से लिंक हो गई हैं। इनमें कई मामलों में एक-एक पीड़ितों से एक करोड़ से 50 लाख से ज्यादा की ठगी हुई है। आरोपित मोहित व केशव कुमार की पुलिस को नई दिल्ली में ठगी के मामले में तलाश थी। मोहित के खिलाफ पहले भी ठगी के कई मामले दर्ज हैं और वह साइबर ठगी के मामले में अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित है। पुलिस इनसे पूछताछ कर इनके बाकी साथियों की तलाश कर रही है।



यह भी पढ़ें- दिल्ली HC से डिजिटल ठग को झटका, फर्जी दस्तावेज और खुद को पुलिस अधिकारी बताकर करोड़ों की ठगी
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