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Narak Chaturdashi 2025: कब और क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? यहां पढ़ें धार्मिक महत्व

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发表于 2025-10-28 08:44:46 | 显示全部楼层 |阅读模式
  Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी की पौराण्क कथा





धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। यह पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

धार्मिक मत है कि भगवान कृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि हर साल कार्तिक महीने में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-


कब मनाई जाती है नरक चतुर्दशी?

कार्तिक का महीना बेहद खास होता है। यह महीना जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस महीने कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, छठ पूजा, दीवाली, देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह आदि प्रमुख हैं। इसके साथ ही कई अन्य व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। नरक चतुर्दशी हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।


क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी?

सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में नरकासुर का आतंक बहुत बढ़ गया था। नरकासुर के आतंक से तीनों लोक में त्राहिमाम मच गया था। नरकासुर ने बलपूर्वक सोलह हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। उस समय जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर से भीषण युद्ध किया था। इस युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण को विजयश्री मिली थी।

भगवान कृष्ण और नरकासुर के मध्य कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि तक युद्ध हुआ था। भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर सोलह हजार स्त्रियों को मुक्त कराया था। इस शुभ अवसर पर हर साल नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।


नरक चतुर्दशी का महत्व (Narak Chaturdashi Significance)

सनातन धर्म में नरक चतुर्दशी का खास महत्व है। इस दिन साधक प्रातः काल में सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करते हैं। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद स्नान-ध्यान करते हैं। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करते हैं। सुविधा होने पर अपामार्ग युक्त पानी से भी स्नान करते हैं।

कहते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन अपामार्ग युक्त पानी से स्नान करने पर व्यक्ति को जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। इसके बाद भक्ति भाव से भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इस दिन जग के नाथ भगवान कृष्ण की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।



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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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