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MMUT में प्राइवेट स्कॉलरशिप को लेकर बड़ा अपडेट, इन नियमों में किया गया है बदलाव

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发表于 2025-10-28 09:54:09 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

प्राइवेट स्कालरशिप देने के एमएमयूटी ने बनाए नए नियम



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के किसी विद्यार्थी को यदि प्राइवेट स्कालरशिप मिलती है तो वह सालाना 50 हजार से कम नहीं होगी। यानी स्कालरशिप देने वाले के लिए महीने में न्यूनतम पांच हजार रुपये देने की बाध्यता होगी। ऐसा इसलिए कि विश्वविद्यालय की ओर से इसके लिए नए नियम बना दिए गए हैं और वैधानिक औपचारिकता पूरी करने के बाद उसे लागू भी कर दिया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अबतक विश्वविद्यालय में इसे लेकर कोई नियम नहीं था। इसके चलते कई विद्यार्थियों को नाकाफी स्कालरशिप मिलती थी और कभी भी उसे बंद कर दिया जाता था। नया नियम लागू होने के बाद चयनित विद्यार्थियों को अध्ययन के दौरान पूरी समय हर महीने में कम से कम पांच हजार रुपये स्कालरशिप के रूप में मिलते रहेंगे।

स्कालरशिप के नए नियम को प्रभावी बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्राइवेट स्कालरशिप देने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए भी मानक निर्धारित किया है। मानक के मुताबिक किसी को स्कालरशिप देने के लिए एक मुश्त न्यूनतम तीन लाख रुपये की धनराशि जमा करनी होगी। उस धनराशि से संबंधित छात्र या छात्रा को पांच वर्ष तक स्कालरशिप देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

स्कालरशिप किसे दिया जाएगा, यह करने की अधिकारिकता उसे देने वाले के पास रहेगी।स्कालरशिप शुरू करने से पहले उसे विश्वविद्यालय को बताना होगा कि वह किस विभाग के किस तरह के विद्यार्थी को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए उत्सुक है।

असहाय विद्यार्थी की फीस हो जाएगी माफ  

इसी क्रम में विश्वविद्यालय ने यह नियम भी बनाया है कि यदि अध्ययन के दौरान विद्यार्थी के पिता की मृत्यु हो जाती है और उसकी मां के पास कोई रोजगार नहीं है तो आवेदन पर आगे की पूरी फीस माफ कर दी जाएगी। यदि विद्यार्थी को समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति मिलती है तो छात्रवृत्ति के अतिरिक्त वाली फीस नहीं ली जाएगी। यदि फीस ले ली गई तो वह वापस कर दी जाएगी। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. जयप्रकाश ने बताया कि यह निर्णय अचानक आर्थिक रूप से दिक्कत में आने वाले विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखकर लिया गया है।

प्राइवेट रूप से स्कालरशिप देने को लेकर अबतक कोई नियम नहीं था। ऐसे में इस व्यवस्था का मानकीकरण नहीं हो पाता था। पांच सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अब मानक निर्धारित कर दिया गया है। विद्या परिषद, वित्त समिति और प्रबंध बोर्ड की मंजूरी के बाद इसे लागू भी कर दिया गया है।
प्रो. जेपी सैनी, कुलपति, एमएमयूटी
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