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जागरण संवाददाता, उरई। पराली या फसल अवशेष जलाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अगर कोई किसान पराली जाता पाया जाता है तो उस पर जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। इसलिए किसान खेत पर फसल अवशेष न जलाकर उसको खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी। कहा कि पांच एकड़ तक की फसल के अवशेष जलाने पर किसान को तीस हजार का जुर्माना लगेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उप कृषि निदेशक एसके उत्तम ने बताया कि किसानों से अपील है कि वे फसल कटाई उपरांत पराली अवशेषों को बिल्कुल न जलाएं। इससे जमीन की उर्वरता नष्ट होती है। जो आने वाली पीढ़ी के लिए बंजर, अनुपजाऊ भूमि ही शेष बचेगी। वातावरण में प्रदूषण के कारण विभिन्न बीमारियां, श्वांस संबंधी रोग हो रहे हैं। ठंड के मौसम की शुरुआत में कोहरे के साथ धुंआ के संयोग से उत्पन्न धुंध से बहुतायत में वाहन दुर्घटनाएं व जन हानि भी होती है।
खेत में सड़ाना अच्छा विकल्प
मशीनों का प्रयोग कर अवशेष को मिट्टी में पलट दें या डी कंपोजर का प्रयोग कर खेत में ही सड़ा दें। वर्तमान में मृदा में औसतन 0.2 कार्बन रेसियो शेष बचा है। जबकि उर्वरा भूमि में 0.9 कार्बन रेसियो होना चाहिए। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के निर्देशों के अनुसार फसल अवशेष जलाना प्रतिबंधित है।
दो एकड तक पांच हजार रुपये प्रति घटना के लिए, 2 से 5 एकड़ तक दस हजार रुपये प्रति घटना के लिए, पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले कृषक पर तीस हजार रुपये प्रति घटना के लिए जुर्माना है। |
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