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नई दिल्ली। टाटा समूह (Tata Group) की स्वामित्व वाली एअर इंडिया (Air India expansion) अपनी महत्वाकांक्षी विस्तार योजना को नई गति दे चुकी है। इस विस्तार योजना को अगले एक दशक तक कई चरणों में लागू किया जाएगा। कंपनी की विस्तार योजना की व्यापकता को इस बात से समझा जा सकता है कि अभी तक बोइंग और एअरबस से कुल 570 नए विमानों की खरीद का समझौता करने के बाद कंपनी ने इन दोनों कंपनियों से 300 और नये विमानों की आपूर्ति को लेकर बात शुरू की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कंपनी दक्षिण पूर्वी एशियाई बाजारों व अमेरिका जैसे प्रतिस्पर्द्धी हवाई मार्गों पर नई रूटों पर सेवा की शुरुआत करने को लेकर व्यापक अध्ययन कर रही है। ग्राहकों को बेहतरीन सेवा दे कर अपनी ब्रांडिंग को मजबूत करने का काम भी प्राथमिकता के तौर पर किया जाएगा।वैसे आधिकारिक तौर पर एअर इंडिया ने अपने कुल निवेश योजना के बारे में कुछ नहीं बताया है लेकिन माना जा रहा है कि उक्त सभी योजनाओं पर 80 अरब डॉलर तक की लागत आएगी। हालांकि यह भुगतान अगले कई वर्षों में किया जाना है।
अभी कंपनी के पास दो सौ के करीब विमान है। लेकिन पिछले दो वर्षों में कुल 570 विमानों की खरीद का समझौता किया गया है। जो एविएशन इतिहास में एकमुश्त सबसे ज्यादा विमान खरीदने के लिए दिया गया सबसे बड़ा आर्डर है। वर्ष 2023 में 470 विमानों का और बाद में वर्ष 2025 में 100 विमानों का समझौता किया गया है।
एअर इंडिया 300 और नये विमान खरीदने की संभावना पर विचार कर रही है। इन विमानों की आपूर्ति वर्ष 2025 के अंत या वर्ष 2026 के शुरुआत से हो जाएगी। शुरुआत के कुछ वर्षों तक तक हर महीने एक नये विमान कंपनी को हासिल होगी लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ती जाएगी। दुनिया की दिग्गज एविएशन कंपनी यूनाइटेड एअरलाइंस (1000 विमान), अमेरिका एअरलाइंस (1000 विमान) और चाइना साउथर्न एअरलाइंस (600 विमान) अभी एअर इंडिया से काफी आगे हैं।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि नए विमान एअर इंडिया की वैश्विक ब्रांड इमेज को मजबूत करने में सबसे अहम भूमिका निभाएगी। क्योंकि अभी कंपनी की घरेलू या अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में सेवा की गुणवत्ता को लेकर जो मामले सामने आती हैं उनमें से अधिकांशत: पुराने विमानों की वजह से होते हैं। एविएशन क्षेत्र में ब्रांड इमेज कुछ दिनों या महीनों में नहीं बनती बल्कि इसमें वर्षों लगते हैं। एअर इंडिया इसी सोच के साथ पिछले दो वर्षों से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूटों का व्यापक अध्ययन कर रही है।इसमें भविष्य में भारत से किन देशों के साथ हवाई संपर्क बढ़ाने की जरूरत होगी इसका आकलन किया जा रहा है।
एअर इंडिया की नजर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों, अफ्रीका और अमेरिका के बाजारों पर खास तौर पर है।
एअर इंडिया के सीईओ और एमडी कैंपबेल विल्सन ने एक बयान में कहा, “हमारी विस्तार योजना भारत को दुनिया से जोड़ने का एक मजबूत माध्यम है। फिलीपींस जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ सीधी कनेक्टिविटी न केवल यात्रियों को सुविधा प्रदान करेगी, बल्कि एअर इंडिया को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगी।\“\“
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि नये रूट पर सेवा शुरू करने के साथ यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि सर्विस की गुणवत्ता दूसरे एअरलाइनों से अलग हो। जैसे दिल्ली-फिलीपींस उड़ान में वाई-फाई और बिजनेस क्लास में फ्लैट-बेड जैसी सुविधाएं हैं। चीन के लिए भी जल्द ही सीधी उड़ान शुरू होगी जिसमें इसी तरह की सेवा होगी। इस विस्तार योजना में कंपनी की नजर नोएडा और नवी-मुंबई के नए हवाई अड्डों की भी अहम भूमिका होगी।
जयप्रकाश रंजन इनपुट |
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