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छपरा सदर अस्पताल में दलालों का बोलबाला, गरीब मरीजों से 44 हजार ठगे, पैसे खत्म होने पर वापस भेजा

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छपरा सदर अस्पताल में दलालों का बोलबाला



जागरण संवाददाता, छपरा। सदर अस्पताल में दलालों की सक्रियता एक बार फिर उजागर हुई है। अमनौर थाना क्षेत्र के जहरी पकड़ी गांव के तीन गरीब मरीज दलालों के झांसे में आकर निजी क्लीनिक पहुंच गए, जहां दो दिनों तक इलाज के नाम पर उनसे 44 हजार रुपये वसूले गए।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आर्थिक रूप से कमजोर इन मरीजों को पर्याप्त उपचार भी नहीं मिला और पैसे खत्म होने पर बिना ऑपरेशन किए उन्हें वापस सदर अस्पताल लौटा दिया गया। इस घटना ने एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दलालों ने किया गुमराह

बीते नौ नवंबर को भूमि विवाद में हुई मारपीट में घायल सनोज कुमार राय, उनके छोटे भाई विधान कुमार और उनकी मां लालमती देवी को पहले अमनौर रेफरल अस्पताल ले जाया गया था। स्थिति गंभीर होने पर तीनों को सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया।  

स्वजन बताते हैं कि सदर अस्पताल पहुंचने पर एक्स-रे तो हुआ, लेकिन वहां मौजूद दलालों ने उन्हें यह कहकर गुमराह किया कि अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं हैं और बेहतर इलाज निजी क्लीनिक में ही मिल सकता है। झांसे में फंसकर स्वजन मरीजों को निजी एम्बुलेंस से निजी क्लीनिक ले गए, जहां इलाज के नाम पर दो दिनों में 44 हजार रुपये वसूल लिए गए।
पैसे खत्म होने पर वापस सदर अस्पताल भेजा

मंगलवार शाम जब परिवार के पास पैसे समाप्त हो गए, तो क्लीनिक संचालकों ने मरीजों को किसी तरह वापस सदर अस्पताल भेज दिया। अस्पताल पहुंचते ही स्वजनों ने जोरदार हंगामा किया और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।  

उनका कहना है कि सदर अस्पताल में दलालों का जाल इस कदर फैल चुका है कि सीसीटीवी कैमरों के सामने भी वे मरीजों को फुसलाते रहते हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। आरोप है कि अंदरखाने दलालों की गतिविधियों में कई कर्मियों की मिलीभगत रहती है, जिससे गरीब मरीज बार-बार ठगे जाते हैं।  
हर वार्ड और प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी

स्वजनों ने यह भी सवाल उठाया कि जब अस्पताल में हर वार्ड और प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी लगे हैं और हर पल निगरानी का दावा किया जाता है, तो दलालों की गतिविधियों पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती। इसका जवाब प्रशासन के पास नहीं दिखा।  

गौरतलब है कि कुछ समय पहले उपाधीक्षक डॉ. आरएन. तिवारी ने दलालों पर कार्रवाई कर उनकी सक्रियता पर अंकुश लगाने की कोशिश की थी, लेकिन अब फिर से उनका नेटवर्क सक्रिय हो गया है। मरीजों से उगाही की यह घटना अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल छोड़ गई है।

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