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दिल्ली में पड़ेगी कड़ाके की ठंड या सर्दी के तेवर होंगे नरम, क्या है मौसम विभाग का अनुमान?

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भारत में कड़ाके की ठंड की आशंका



जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में इस बार सर्दी के तेवर तीखे रहने के संकेत मिल रहे हैं। दिसंबर से जनवरी के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से नीचे जा सकता है। इसका प्रमुख कारण ला-नीना जलवायु घटना को माना जा रहा है, जो प्रशांत महासागर में समुद्री सतह के तापमान में गिरावट से बनती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसके प्रभाव से ठंडी हवाएं अधिक सक्रिय हो जाती हैं और उत्तर भारत में शीतलहर का असर लंबा ¨खचता है।भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) का अनुमान है कि दिसंबर में रात का तापमान सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस तक नीचे जा सकता है।
भारत में कड़ाके की ठंड की आशंका

दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ठंड का असर सबसे ज्यादा महसूस होगा। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फबारी के चलते मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं और कोहरा बढ़ेगा। आइएमडी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आने वाले दो महीनों में घना कोहरा, शीतलहर और न्यूनतम तापमान में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है।
ला-नीना के कारण तापमान में गिरावट

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ला-नीना की स्थिति नवंबर से जनवरी तक बनी रह सकती है। स्काइमेट वेदर सर्विस के अनुसार यह ला-नीना कमजोर जरूर रहेगा, लेकिन ठंड की तीव्रता पर इसका असर स्पष्ट होगा। ला-नीना के दौरान उत्तर और मध्य भारत में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय रहने से बर्फबारी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इससे न केवल रातें ठंडी होती हैं बल्कि सुबह में कोहरा और नमी भी बढ़ जाती है।

राजस्थान और मध्य प्रदेश में सर्दी ने पहले ही दस्तक दे दी है। सीकर और झुंझुनू में सीजन की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई, जबकि भोपाल, इंदौर और राजगढ़ में तापमान सात डिग्री तक पहुंच गया है। बिहार, पंजाब और हरियाणा में भी पारा लगातार नीचे जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार से अगले तीन-चार दिनों तक मध्य प्रदेश, दक्षिण हरियाणा, उत्तर-पूर्वी राजस्थान और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में शीतलहर की स्थिति बनी रह सकती है।
कोहरे और शीतलहर का अलर्ट जारी

आइएमडी के पूर्वानुमान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और मुजफ्फराबाद में कई स्थानों पर, जबकि पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर न्यूनतम तापमान सात से दस डिग्री के बीच रह सकता है।

ला-नीना का प्रभाव केवल तापमान तक सीमित नहीं है। यह बारिश और हवाओं के पैटर्न को भी प्रभावित करता है। आम तौर पर मानसून के दौरान ला-नीना अधिक वर्षा लाता है, लेकिन सर्दियों में यह ठंडी हवाओं को और तीव्र कर देता है।

कोहरे और शीतलहर के कारण परिवहन और स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ने की आशंका है। दृश्यता में कमी से सड़क और रेल यातायात प्रभावित हो सकता है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार सर्दी जल्दी शुरू हुई है और इसका असर फरवरी तक बना रह सकता है।

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