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सेकेंड हैंड कार चलाने वाले Delhi Blast से लें सबक, बिना नाम ट्रांसफर के दिल्ली में चल रहीं 30% गाड़ियां

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发表于 昨天 23:19 | 显示全部楼层 |阅读模式
  



वीके शुक्ला, नई दिल्ली। राजधानी में 30 प्रतिशत से अधिक सेकेंड हैंड वाहन असली मालिक के नाम ही संचालित हो रहे हैं। जो लोग उस वाहनों को चला रहे हैं, कागजाें में वे उनके मालिक ही नहीं हैं। इस बारे में न ही विक्रेता जागरूक हैं और न ही खरीदार को इसकी चिंता है। किसी अपराध में फंसने पर उन्हें अपनी लापरवाही याद आती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आम तौर पर न तो विक्रेता वाहन को बेचने के समय पंजीकरण करने की अहमियत समझता है और ना ही खरीदार वाहन को अपने नाम पंजीकरण कराने में रुचि दिखाता है । क्योंकि ऐसे वाहन चलाने पर रोकटोक नहीं है और न ही चालान का ही प्रॉवधान है। जिस मालिक के नाम पर वाहन पंजीकृत है उसी के नाम पर प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र और इंश्योरेंस भी जारी हो जाता है । कई बार ऐसे वाहन अपराधों में भी इस्तेमाल होते हैं तब असली वाहन मालिक को पछतावा होता है।

विशेषज्ञों की मानें तो सेकेंड हैंड गाड़ियों का कारोबार इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि रास्ता चलते परिवहन विभाग या यातायात पुलिस की टीमें केवल इस बात की जांच करती हैं कि वाहन चालक के पास इंश्योरेंस, प्रदूषण, इंश्योरेंस प्रमाण पत्र और वाहन के कागज हैं कि नहीं। अगर ये दस्तावेज पूरे होते हैं और यातायात निगम का काेई उल्लंघन नहीं किया गया है तो उन्हें जाने दिया जाता है।

कई बार बहुत ज्यादा छानबीन करने पर जांच दल के अधिकारी मालिकाना हक की भी जांच करते हैं। वह तब सवाल उठाते हैं जब गाड़ी किसी और के नाम से होती है। ऐसे में अगर गाड़ी किसी और की है और उसे कोई और खरीद कर चला रहा है तो वर्तमान में जिसके पास गाड़ी है वह उसे स्टांप पेपर पर दिखा देता है कि गाड़ी उसने खरीदी हुई है।

परिवहन विभाग के उपायुक्त और परिवहन विशेषज्ञ अनिल छिकारा कहते हैं कि इस प्रक्रिया को जब तक अपराध नहीं माना जाएगा, यह काम रुकने वाला नहीं है। उनका कहना है कि यह अनिवार्य किया जाना चाहिए कि अगर कोई भी व्यक्ति किसी से वाहन खरीदकर बगैर अपने नाम कराए चला रहा है और कागज या स्टांप पर वाहन खरीदने की की जानकारी दिखा रहा है तो उसे चालान की श्रेणी में लाया जाना चाहिए।

ऐसा किए जाने पर ही यह कार्य रुक सकेगा। वह कहते हैं कि दरअसल लोगों को अपनी गलती का एहसास तब होता है जब उनका वाहन किसी अपराध में उपयोग किया गया होता है और वे उस मामल में फंस चुके होते हैं।

उनकी मानें तो सेकेंड हैंड खरीदे गए बहुत से वाहन अपराधों में उपयोग होते हैं। वह कहते हैं कि डोमेस्टिक और वित्तीय मामला से संबंधित अपराधों को अलग कर दिया जाए अन्य अपराधों में अगर कोई वाहन उपयोग हुआ है तो उसमें 80 से लेकर 90 प्रतिशत तक ऐसे वाहनों की संभावना रहती है। वह कहते हैं कि दिल्ली नंबर के तमाम वाहन दूसरे राज्यों में चल रहे हैं।
वाहन खरीदते या बेचते समय ये करें

परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि बगैर पंजीकरण कराए कोई भी सेकेंडहैंड वाहन खरीदना या बेचना, क्रेता और विक्रेता दोनों के लिए खतरनाक है। लोगों को चाहिए अगर कार या कोई अन्य वाहन खरीद रहे हैं जब तक उनके नाम पंजीकरण नहीं हो जाता तब तक उन्हें उस वाहन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

विक्रेता के लिए भी यह जरूरी है कि अगर वह कोई भी अपना बेचता है तो वह जिसने खरीदा है उसके नाम पंजीकरण कराए अन्यथा कोई भी मामला होने पर वही उस मामले में फंसेगा। आमतौर पर जो लोग वाहन खरीदने या बेचते समय स्टांप पेपर पर या अन्य किसी प्रकार से एग्रीमेंट साइन करते हैं,उसकी कानूनी तौर पर कोई अहमियत नहीं है।

यह भी पढ़ें- ब्लास्ट से पहले अरुणा आसिफ अली रोड पर 40 मिनट तक क्यों रुका था डॉ. उमर? दिल्ली पुलिस को मिली नई फुटेज

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