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स्टील इंडस्ट्री के लिए पहली ESG परफॉर्मेंस रिपोर्ट जारी, ग्रीन स्टील की दिशा में भारत का बड़ा कदम
नई दिल्ली। पर्यावरण पर काम करने वाले थिंक टैंक iFOREST ने भारत के स्टील क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। संगठन ने स्टील इंडस्ट्री की पहली ESG (Environment, Social, Governance) परफॉर्मेंस रिपोर्ट जारी की है और साथ ही एक नया GHG (Greenhouse Gas) अकाउंटिंग और MRV (Measurement, Reporting & Verification) फ्रेमवर्क लॉन्च किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
iFOREST (International Forum for Environment, Sustainability and Technology) एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी संगठन है जो पर्यावरण और विकास से जुड़े मुद्दों पर काम करता है।
यह संगठन शोध, नीति सलाह, और स्थानीय स्तर पर नवाचार समाधान विकसित करने पर केंद्रित है।
इसके अलावा, iFOREST ने इस्पात उद्योग के लिए BRSR Supplement भी तैयार किया है, जिससे कंपनियों की रिपोर्टिंग और पारदर्शी होगी। इसका उद्देश्य है — उद्योगों द्वारा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG emissions) की सटीक जानकारी देना और ESG रिपोर्टिंग की गुणवत्ता को बढ़ाना ताकि इस क्षेत्र में जलवायु वित्त (Climate Finance) आकर्षित किया जा सके।
iFOREST के CEO और Director ने क्या कहा?
iFOREST के CEO चंद्र भूषण ने उद्घाटन सत्र में कहा, “भारत को अपने शमन (mitigation) और अनुकूलन (adaptation) लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जलवायु वित्त में खरबों डॉलर की आवश्यकता है। इस स्तर के वित्त को आकर्षित करने के लिए तीन तत्व आवश्यक हैं। पहला, एक टैक्सोनॉमी जो जलवायु वित्त को स्पष्ट रूप से परिभाषित करे, ताकि यह पारदर्शी हो कि क्या शामिल है और क्या नहीं। दूसरा, निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए क्षेत्रों को डीकार्बनाइज (कार्बन मुक्त) करने का एक स्पष्ट नीतिगत रोडमैप। तीसरा, निवेश निर्णयों को दिशा देने के लिए विश्वसनीय, तुलनीय और सत्यापन योग्य जानकारी “आज हमारा कार्य तीसरे स्तंभ पर केंद्रित है। इस्पात क्षेत्र के लिए पारदर्शी ईएसजी रिपोर्टिंग। यह विश्वसनीय ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन प्रकटीकरण को मजबूत करेगा और ईएसजी रिपोर्टिंग की गुणवत्ता को बढ़ाएगा ताकि इस क्षेत्र में जलवायु वित्त आकर्षित किया जा सके।“
iFOREST के Director (Industrial Decarbonisation & ESG) संजयव कंचन ने कहा, “Sector-specific reporting templates और guidelines औद्योगिक क्षेत्रों की ESG Reporting को मजबूत करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो अत्यधिक संसाधन और उत्सर्जन-गहन हैं, जैसे इस्पात। iFOREST का BRSR Supplement for the Steel Sector पारदर्शिता, तुलनात्मकता और विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए लक्षित सुधारों का प्रस्ताव करता है।“
इस्पात क्षेत्र की स्थिति
भारत में आयरन और स्टील इंडस्ट्री सबसे ज्यादा ऊर्जा इस्तेमाल करने वाला और तेजी से उत्सर्जन करने वाला क्षेत्र है। यह देश के कुल CO₂ उत्सर्जन का करीब 12% हिस्सा देता है। 2023 में भारत ने 140 मिलियन टन इस्पात का उत्पादन किया था, जो 2030 तक 255 मिलियन टन और 2050 तक 500 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। भारत की $5 Trillion Economy की दिशा में इस्पात क्षेत्र का Transition आवश्यक है ताकि देश अपने Net Zero Goal को प्राप्त कर सके और सतत आर्थिक विकास को बनाए रखे।
देश की अर्थव्यवस्था को $5 ट्रिलियन तक पहुंचाने और नेट जीरो लक्ष्य पाने के लिए इस क्षेत्र का लो-कार्बन ट्रांज़िशन बेहद जरूरी है।
India Green Steel Transition कार्यक्रम के दौरान, जो नई दिल्ली के The Park Hotel में Indian Steel Association के सहयोग से आयोजित हुआ, iFOREST ने तीन रिपोर्ट्स जारी कीं:
● BRSR Disclosure: ESG Performance of the Steel Sector (2023–24)
● BRSR Supplement for the Steel Sector: Enhancing ESG Disclosure and Transparency
● The Unified GHG Accounting and MRV Framework for the Iron and Steel Sector
इन रिपोर्ट्स में 31 कंपनियों ने FY24 में 93 मिलियन टन इस्पात बनाया, जो भारत के कुल उत्पादन का 65% है। कुल 221 मिलियन टन CO₂e उत्सर्जन हुआ। औसतन हर टन इस्पात पर 2.54 टन CO₂e उत्सर्जन होता है — जो वैश्विक औसत से ज्यादा है। प्रति टन इस्पात पर औसत 23.2 GJ ऊर्जा लगती है, जबकि वैश्विक औसत 21.3 GJ है। नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल अभी 0.5% से भी कम है। 93% स्टील वेस्ट का पुनर्चक्रण होता है, लेकिन कुछ अपशिष्ट जैसे slag को सही तरह से वर्गीकृत नहीं किया गया है। केवल 16 कंपनियों के पास औपचारिक Anti-Corruption Frameworks हैं।
इस्पात कंपनियां इन टूल्स का करती हैं इस्तेमाल
वर्तमान में भारत की इस्पात कंपनियां विभिन्न GHG Accounting Methodologies का उपयोग करती हैं — जैसे CCTS, GHG Protocol, ISO Standards, World Steel Templates, Environmental Product Declarations, और CBAM-aligned reporting। इनकी असंगति रिपोर्टिंग को जटिल और असमान बनाती है।
इस समस्या के समाधान के लिए, iFOREST ने भारत-विशिष्ट, Excel-based GHG Accounting and MRV Tool विकसित किया है, जो पूरे Value Chain में उत्सर्जन ट्रैकिंग को सरल और मानकीकृत करता है। यह Small, Medium और Large Industries द्वारा अपनाया जा सकता है।
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