找回密码
 立即注册
搜索
查看: 257|回复: 0

अर्श से फर्श पर कैसे आए प्रशांत किशोर? NDA की सुनामी में हवा हो गए पलायन और बेरोजगारी के मुद्दे

[复制链接]

8万

主题

-651

回帖

26万

积分

论坛元老

积分
261546
发表于 昨天 23:31 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

प्रशांत किशोर का राजनीतिक भविष्य (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा का चुनाव समाप्त हो चुका है। चुनावी नतीजों ने सबको चौंका दिया है। एनडीए को 202 सीटों पर जीत मिली है। जबकि महागठबंधन 35 सीट पर ही सिमट कर रह गई है। वहीं, राजनीतिक दलों और क्षत्रपों की चुनावी सफलताओं की पटकथा लिखने वाले प्रशांत किशोर को करारी हार का सामना करना पड़ा है। चुनावी नतीजों में जन सुराज पार्टी को निराशा हाथ लगी और एक भी सीट जीतने में विफल रही। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दरअसल, प्रशांत किशोर को कई राजनीतिक दलों की चुनावी सफलता का श्रेय दिया जाता रहा है। लेकिन उनकी बहुप्रतीक्षित पटकथा एक जबरदस्त असफलता साबित हुई है। तीन साल पहले जब उन्होंने चंपारण से पदयात्रा के साथ बिहार में अपनी जनसम्पर्क यात्रा शुरू की थी, तो वे अपने संवाद कौशल के कारण सुर्खियों में छाए रहे थे।
इन दिग्गजों के साथ मचाई धूम

प्रशांत किशोर की लोकप्रियता में और इजाफा इस बात से हुआ कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई प्रमुख राजनेताओं और नीतीश कुमार व ममता बनर्जी जैसे मुख्यमंत्रियों जैसे कई क्षेत्रीय दिग्गजों के साथ उनके कुछ सफल चुनावी मुकाबलों में काम किया था। चुनावी रणनीतिकार के रूप में, उनकी सफलताओं ने धूम मचा दी। वहीं, 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों जैसी असफलताओं ने उनकी छवि को कम नहीं किया।

अधिकांश चुनाव रणनीतिकारों के विपरीत, जो पर्दे के पीछे रहना पसंद करते हैं और कम चर्चा में रहते हैं, प्रशांत ने कभी भी उन राजनेताओं की आलोचना करने और उनकी आलोचना करने से पीछे नहीं हटे, जिनके बारे में उनका मानना था कि वे उनके प्रति उदार नहीं हैं, राहुल गांधी इसका एक प्रसिद्ध उदाहरण हैं, जब उनके कांग्रेस में शामिल होने की बातचीत विफल हो गई थी।
प्रशांत किशोर की भविष्यवाणियां

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2021 में पश्चिम बंगाल में भाजपा का 100 सीटें पार न करने की भविष्यवाणी की थी, जो सही साबित हुई। जिसके बाद उनका कद धीरे-धीरे बढ़ता गया। प्रशांत किशोर के इसी कद के चलते बिहार में उनकी जन सुराज पार्टी के पदार्पण से पहले उत्सुकता का माहौल बन गया। उनकी सभाओं और रोड शो में भीड़ उमड़ती थी और उनके इंटरव्यू की खूब मांग होती थी।
बेरोजगारी और पलायन का उठाया था मुद्दा

बिहार में प्रशांत किशोर ने क्षेत्रीय क्षत्रपों पर अपरंपरागत तीखे हमलों के साथ-साथ अहंकारी भविष्यवाणियों का भी भरपूर मिश्रण किया। चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने बिहार को बेरोजगारी और निरंतर पलायन की समस्या से मुक्ति दिलाने का वादा किया था।

लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की सुनामी से उड़ी धूल के जमने के साथ ही, प्रशांत किशोर और उनकी महत्वाकांक्षाएं दफन हो गई हैं। उन्होंने दावा किया था कि नीतीश, जिनकी पार्टी में वे 2018 में बड़े जोर-शोर से शामिल हुए थे और 2020 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम का समर्थन करने पर सार्वजनिक रूप से उनका अपमान करने के कारण निष्कासित कर दिए गए थे, अगले मुख्यमंत्री नहीं होंगे और उनकी पार्टी, जेडीयू, 25 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो वे राजनीति छोड़ देंगे। राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर अब प्रशांत किशोर की चमक फीकी पड़ गई है।

यह भी पढ़ें- Bihar Chunav Result 2025: तीसरा फ्रंट इस बार भी नाकामयाब, जनसुराज फैक्टर हवा; आंकड़े देते हैं गवाही

相关帖子

您需要登录后才可以回帖 登录 | 立即注册

本版积分规则

Archiver|手机版|小黑屋|usdt交易

GMT+8, 2025-11-27 01:21 , Processed in 0.119885 second(s), 24 queries .

Powered by usdt cosino! X3.5

© 2001-2025 Bitcoin Casino

快速回复 返回顶部 返回列表