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रामनगरी के मेडिकल कॉलेज में खरीद ली नकली वर्टिकल आटोक्लेव मशीन, जेल पोर्टल से की गई खरीद

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रामनगरी के मेडिकल कॉलेज में खरीद ली नकली वर्टिकल आटोक्लेव मशीन।



प्रमोद दुबे, अयोध्या। राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज दर्शननगर में 80 लीटर वर्टिकल आटोक्लेव मशीन की खरीद में फर्जीवाड़ा सामने आया है। असली कंपनी का नाम लगाकर नकली की खरीद कर ली गई। इसके लिए दोगुणा रेट भी दिया गया। मशीन की असली कीमत तीन लाख 50 हजार है, जबकि नकली मशीन पांच लाख 99 हजार 990 रुपये में खरीदी गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वहीं, जिस मेहरोत्रा बायोटेक कंपनी का स्टीकर लगाया गया वह फर्म अपने यहां से सप्लाई न होने से साफ मना कर दिया। इतना ही नही बिल और मयाीन में भी काफी अंतर दिख रहा है। मशीन ब्लड बैंक के लिए खरीदी गई है।

इससे एचआईवी और हेपेटाइटिस से संक्रमित रक्त को नष्ट करने का काम किया जाता है, जिससे अस्पताल और बायो मेडिकल बेस्ट के कर्मचारियों को इसे नष्ट करने के दौरान खतरे से बचाया जा सके। वहीं मशीन खरीद में की गई जालसाजी का खुलासा हाेने के बाद विभागाध्यक्ष डॉ. डीके सिंह की ओर प्राचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा को पत्र भेजकर कई गंभीर आराेप लगाते हुए प्रकरण की जांच कराने का अनुरोध करते हुए कई जानकारियां भी मागी है।

विभागाध्यक्ष की तरफ से प्राचार्य को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि एक वर्ष से अनेक बार उपकरणों और सामग्रियों के क्रय ये पूर्व समिति की विधिवत बैठक बुला परीक्षण, सत्यापन और अनुमोदन किए जाने के बाद ही क्रय किए जाने की माग की गई।

इसके बावजूद इतने लंबे समय में एक भी नियमित बैठक आयोजित नही की हुई। इसके बाद भी उपकरणों एवं सामग्रियों की खरीद बिना समिति के विचार विमर्श और परीक्षण एवं पारदर्शी प्रक्रिया के निरंतर जारी रही, जिस प्रशासनिक लापरवाही के अलावा वित्तीय अनियमितता का संकेत बताया गया है।

आराेप है कि इसी का नतीजा है कि वर्टिकल आटोक्लेव मशीन माडल एसएस-वी 100 एचडी को छह लाख की कीमत दर्शाते हुए कालेज के स्टोर में प्राप्त दिखाया गया और ब्लड बैंक में स्थापित करा दिया गया।

उन्हाेंने इसकी उत्पत्ति संदेहास्पद बताते हुए कहा है कि इसे मलहोत्रा बायोटेक कंपनी द्वारा निर्मित दिखाया गया है, जबकि कंपनी से ईमेल एवं लिखित रूप से पुष्टि की गई तो कंपनी ने कहा गया कि उपकरण उनके तरफ से न निर्मित और न ही फर्म से आपूर्ति करने की जानकारी दी है।

कंपनी के जवाब के बाद विभाग में नकली उपकरण ओरिजनल बताकर स्थापित करना स्पष्ट हाेना बताया गया। वहीं, वास्तविक कोटेशन के तुलना में इसकी कीमत दोगुणा दर से क्रय कर लिया गया। उन्होंने क्रय कर्ता जेम ब्वायर मनीष कुमार वर्मा की भूमिका भी संदिग्ध बताया है।

प्रकरण में विभागाध्यक्ष ने इस प्रकार की अनियमितताएं एक तरफ संस्न की छवि को धूमिल करने तो वही रोगी सेवा और जनहित पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालने की जानकारी देते हुए गंभीर विषय पर तत्काल कठोर एवं पारदर्शी प्रभावी कार्रवाई की मांग कर प्रतिलिपि सीएमएस, वित्त नियंत्रक, क्रय अधिकारी और विभागाध्यक्षों को भेजा गया है। इसके साथ फर्जीवाड़े के साक्ष्य भी दिए गये हैं।


मशीन जेल पोर्टल से ही खरीदी गई है। इसका भुगतान अभी नही किया गया है। शिकायत मिलने पर क्रय अधिकारी को बोल दिया गया है। आपूर्तिकर्ता को बुलाकर गुणवत्ता पर बात करने को कहा गया है। अगर संतुष्ट नही हैं तो उसे वापस कर देने को कहा गया है। -डॉ. सत्यजीत वर्मा, प्राचार्य।

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