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सर्दियों की दस्तक के साथ गुलजार चिल्का झील, 50 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी परिंदे पहुंचे

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चिल्का झील



शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। दिसंबर की हल्की सर्दियों में जब सूरज अपनी पहली किरणें चिल्का झील की नीली सतह पर फैलाता है, तो दूर-दूर तक बस पंखों की फड़फड़ाहट और पानी की सौम्य लहरों की आवाज सुनाई देती है। मानो प्रकृति ने खुद एक विशाल संगीत सभागार खोल दिया हो और उसके मंच पर प्रवासी परिंदों का संगीत चल रहा हो। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

हर वर्ष की तरह इस बार भी सर्दियां आते ही चिल्का झील प्रवासी परिंदों के स्वागत में खिल उठी है।लाखों किलोमीटर दूर यूरोप, रूस, कजाकिस्तान और दक्षिण-पूर्व एशिया से आए ये पंख वाले मेहमान झील के ऊपर मंडराते हुए किसी रंग-बिरंगे आसमानी मेले का एहसास कराते हैं।
विदेश से आए परिंदों ने झील की खूबसूरती बढ़ाई

सुबह-सुबह की धुंध में उड़ते हुए जब ये परिंदे सूरज की रोशनी को चीरते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे आसमान पर किसी कलाकार ने जीवित पेंटिंग उकेर दी हो।एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील—चिल्का में पहुंचे विदेश से आए परिंदों ने झील की खूबसूरती बढ़ा दी है।

50 से अधिक प्रजातियों के पक्षी अब तक पहुंच चुके हैं, जिससे प्रदेश, देश-विदेश के सैलानियों का रुख चिल्का झील की तरफ बढ़ने लगा है।

  

जानकारी के मुताबिक झील के नलबण, मंगलाजोड़ी, सातपड़ा सहित चिलिका के प्रमुख पक्षी-हॉटस्पॉट इन दिनों पर्यटकों से भरे नजर आ रहे हैं।पक्षी-प्रेमियों और संरक्षण समितियों का कहना है कि इस सीजन में पिछले साल से ज्यादा पर्यटक आने की उम्मीद है।
दुनिया भर से उड़कर पहुंचे मेहमान

चिलिका झील, इन दिनों मलेशिया, मंगोलिया, कजाकिस्तान, रूस, फ्रांस और नीदरलैंड जैसे देशों से आए प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से गूंज रही हैं। हजारों मील की यात्रा कर ये परिंदे भोजन और बेहतर मौसम की तलाश में यहां डेरा जमा लेते हैं।

बोट राइड और गाइडेड टूर के लिए पर्यटकों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। स्थानीय नाविक, पक्षी-गाइड और दूरबीन ऑपरेटर भी सीजन की भारी भीड़ के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके हैं।

  

एक विदेशी पर्यटक ने उत्साहित होकर कहा कि पहले मुझे वन्यजीव देखने में किस्मत साथ नहीं दे रही थी, लेकिन यहां आकर मैं हैरान हूं।कई किंगफिशर देखने को मिले।  

इसी तरह राकेश पटनायक नामक एक स्थानीय पर्यटक ने बताया कि यह मेरी तीसरी यात्रा है और हर बार की तरह इस बार भी अद्भुत अनुभव रहा।डेढ़ घंटे की बोटिंग में कई पक्षी दिखे।सर्दियों में तो इस जगह जरूर आना चाहिए।
प्रवासी परिंदों की पहली पसंद—चिल्का

वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बावजूद चिल्का झील प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा ठिकाना बनी हुई है। वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इस बार मौसम अनुकूल रहने से पक्षियों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है।हर साल करीब 200 प्रजातियां यहां आती हैं।  

इस सीजन में अब तक लगभग 50 प्रजातियां पहुंच चुकी हैं।महावीर बर्ड सिक्योरिटी कमेटी के सचिव जय बेहरा ने बताया कि इस बार पक्षियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।पर्यटकों की भीड़ भी बढ़ने के आसार हैं।
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

चिल्का झील में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए इस बार वन विभाग ने बड़े पैमाने पर तैयारी की है। टांगी, बालूगांव, रंभा और सातपड़ा समेत पूरे क्षेत्र में 21 सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं।150 से अधिक वन कर्मियों को चौबीसों घंटे निगरानी के लिए तैनात किया गया है, ताकि शिकार जैसी किसी भी घटना को रोका जा सके।

चिल्का वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ अमलान नायक ने बताया कि पंद्रह दिन के आकलन में पाया गया है कि करीब 50 से अधिक प्रजाति की पक्षी आ चुकी हैं।उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पक्षियों और पर्यटकों—दोनों की संख्या और बढ़ेगी।

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