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RJD की हार के बाद भी MY फैक्टर कर गया काम (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के हालिया विधानसभा चुनावों में RJD को बड़ी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन पार्टी का पारंपरिक मुस्लिम-यादव वोट बैंक इस बार भी मजबूती से साथ खड़ा रहा। Ascendia Strategies के चुनावी विश्लेषण में यह साफ दिखा है कि भले सीटें कम आई हों, लेकिन RJD के कोर वोटरों ने पार्टी को नहीं छोड़ा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रिपोर्ट के मुताबिक महागठबंधन को मिले कुल 38% वोटों में से 60% सिर्फ मुस्लिम और यादव समुदाय से आए। यादवों ने महागठबंधन को कुल 10% वोट दिया, जबकि मुस्लिम वोट शेयर 13% रहा। यानी RJD के सामाजिक आधार में कोई बड़ी कमी नहीं देखी गई।
तो कैसे बनी NDA की सरकार?
इसी चुनाव में NDA ने 243 में से 202 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया। NDA के 47% कुल वोट शेयर में यादवों की हिस्सेदारी सिर्फ 3% और मुसलमानों की 2% रही। यानी NDA की जीत RJD के MY वोटों को काटकर नहीं बनी, बल्कि अन्य समुदायों ने उसे बड़ी बढ़त दी।
सवर्ण और OBC मतदाता NDA के साथ
Ascendiaके अनुसार बड़ी संख्या में सवर्ण वोट NDA के पक्ष में गए। NDA के कुल वोट शेयर का 7% हिस्सा जनरल कैटेगरी से आया, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 2% मिले। गैर-यादव OBC ने भी NDA को ज्यादा समर्थन दिया। इस समुदाय से NDA को 7% वोट मिले, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 3%।
NDA को सबसे बड़ी मदद EBC (अति पिछड़ा), SC और ST समुदाय के वोटों से मिली। इसके 47% कुल वोट शेयर में से 60% सिर्फ इन समुदायों से आए। लगभग 15% EBC आबादी ने NDA के पक्ष में मतदान किया, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 6% मिले। SC-ST मतदाताओं से NDA को 13% वोट मिले, जबकि महागठबंधन को सिर्फ 4% वोट मिले।
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