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नए लेबर कोड से बढ़ेगा आपका PF और ग्रेच्युटी, IT-ट्रांसपोर्टेशन समेत कई सेक्टरों में पैदा होंगे रोजगार के ज्यादा मौके

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发表于 1 小时前 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

नए लेबर कोड्स से मिलेगा गिग वर्कर्स को फायदा  



नई दिल्ली। भारत में चार लेबर कोड (New Labour Codes) लागू हो गए हैं, जो 29 मौजूदा कानूनों में सुधार करेंगे। इन लेबर कोड में गिग वर्कर्स के लिए भी बहुत कुछ है, जिनमें सोशल सिक्योरिटी और बीमा शामिल है। इस पर ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राहुल सिंह ने कहा है कि यदि आप अप्रैल 2024 के सीएमआईई के आंकड़ों को देखे तो इस दौरान गिग वर्कर्स के संख्या में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
टीमलीज ने जुलाई 2025 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि इस समय 12 मिलियन भारतीय गिग वर्कर्स के रूप में कार्य कर रहे हैं और 2029 -30 तक भारत में 23 .5 मिलियन गिग वर्कर्स होने का अनुमान है।
इसके अलावा जो कॉन्ट्रैक्ट या ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए जुड़कर काम करने वाले ह्यूमन रिसोर्स हैं उनके लिए सामाजिक सुरक्षा जैसे प्रोविडेंट फंड (पीएफ), ग्रेच्युटी, इएसआईसी आदि का प्रावधान निश्चित रूप से मील का पत्थर साबित होगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
\“अर्थव्यस्था होगी मजबूत\“

सिंह का मानना है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से जुड़े कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के लिए वैसी कंपनियों को अपने टर्नओवर का 1 -2 प्रतिशत इस मद के लिए आवंटित करना होगा। लेबर कोड में जो प्रवधान किया गया है वह ऐसे कर्मियों के हित में होगा और आने वाले समय में अर्थव्यस्था को सबल बनाने में सहयोगी होगा।
\“पीएफ और ग्रेच्युटी पर पड़ेगा पॉजिटिव असर\“

सिंह के अनुसार लेबर कोड में जो परिवर्तन लाया गया है इसके तहत बेसिक वेतन कुल वेतन का 50 प्रतिशत होना चाहिए। इसका सीधा असर कर्मचारी के पीएफ और ग्रेच्युटी पर पड़ेगा। कर्मचारियों के पीएफ में ज्यादा योगदान करना होगा और ऐसी तरह कर्मचारियों को जो ग्रेच्युटी मिलता है वो भी पहले से अधिक होगा।
इस तरह से कर्मचारियों के लिए फ्यूचर के लिहाज से यह परिवर्तन निश्चित रूप से एक सामाजिक सुरक्षा को मजबूत बनाने का सार्थक प्रयास है।
\“स्टार्टअप्स से जुड़े गिग वर्कर्स के लिए बढ़ेगी स्थिरता\“

सिंह कहते हैं कि हालाँकि भारत में काम करने वाले ह्यूमन रिसोर्स के सामाजिक सुरक्षा को देखें तो वर्ष 2015 में कुल का 19 प्रतिशत काम करने वाले लोग सामाजिक सुरक्षा के दायरे में था, जो अब 2025 में बढ़कर 64 प्रतिशत हो गया है।
वहीं गिग प्लेटफार्म वर्कर्स के लिए जो प्रावधान किया गया है इससे काम करने वाले लोगों का सामाजिक दायरे में आने का प्रतिशत और बढ़ेगा। यही नहीं गिग वर्कर्स के लिए जो प्रावधान किया गया है इसका असर स्टार्टअप्स में जो नौकरियाँ है उन पर पड़ेगा क्योंकि स्टार्टअप्स की ज्यादा नौकरियां गिग वर्क के रूप में ही देती हैं। ऐसे में सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान स्टार्टअप्स से जुड़े गिग वर्कर्स के लिए स्थिरता प्रदान करेगा।
इन सेक्टरों में बढ़ेंगी नौकरियां

सिंह के अनुसार गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और जिस तरह के लाभ के दायरे में इस लेबर कोड के जरिए लाया गया है, ऐसे में कई ऐसे उद्योग हैं - जैसे आईटी और आईटीएस , ट्रांसपोर्टेशन , ट्रेवल और टूरिज्म , स्टार्टअप्स आदि - में गिग वर्क को बढ़ावा मिलेगा और नौकरियों की संख्या बढ़ेंगी।
यही नहीं गिग वर्कर्स का योगदान सकल घरेलु उत्पाद में इस तरह से बढ़ेगा। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2030 तक गिग अर्थव्यवस्था का योगदान सकल घरेलु उत्पाद में लगभग 1.25 प्रतिशत होगा।

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