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दिल्ली HC ने कहा- अपराध साबित हो तो मकसद साबित करना जरूरी नहीं, 1998 हत्या मामले में दोषसिद्धि बरकरार

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发表于 2025-10-28 09:49:41 | 显示全部楼层 |阅读模式
  



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वर्ष 1998 में एक रिक्शा चालक की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए अपीलकर्ता की दोषसिद्धी को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हत्या के आरोप को साबित करने के लिए मकसद का सुबूत जरूरी नहीं है। मोहम्मद नवाब को राहत देने से इन्कार करते हुए न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद व न्यायमूर्ति विमल कुमार यादव की पीठ ने कहा कि किसी अपराध में मकसद जरूरी नहीं है क्योंकि ज्यादातर गंभीर अपराध बहुत ही कमजोर और तुच्छ कारणों से किए जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पीठ ने कहा कि जब आरोप साबित करने वाले तथ्य स्पष्ट हों तो मकसद साबित न होना कोई मायने नहीं रखता।

इसका कारण यह है कि किसी कृत्य का मकसद अपराधी को ही पता हो सकता है, किसी और को नहीं। पीठ ने कहा कि हो सकता है कि जांचकर्ता उसके बारे में कोई जानकारी इकट्ठा न कर पाया हो।

पीठ ने कहा कि मात्र यह तथ्य कि अभियुक्त के पास मृतक की मृत्यु का कारण बनने का कोई उद्देश्य था। नवंबर 1998 में ज्ञानी नामक एक रिक्शा चालक की हत्या के लिए दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को याची ने चुनौती दी थी।

उसने तर्क दिया था कि अभियोजन पक्ष नवाब की ओर से कोई उद्देश्य साबित करने में विफल रहा। हालांकि, पीठ ने याचिका खारिज करते हुए माना कि नवाब का अपराध संदेह से परे साबित हो गया था।

यह भी पढ़ें- ऋतिक रोशन और कुमार सानू के पक्ष में दिल्ली HC का आदेश, इंटरनेट से हटेंगे फर्जी और आपत्तिजनक लिंक

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